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तिरुपति लड्डू विवाद ने लिया नया मोड़, लखनऊ के मंदिरों में  बाजार का प्रसाद बैन

Tirupati Laddu Issue: तिरुपति लड्डू विवाद के बाद लखनऊ के बाहर प्रसाद की दुकानों पर शुद्धता की जांच शुरू कर दी गई है। लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में बाहरी प्रसाद बैन लग गया है साथ ही सिर्फ घर का बना प्रसाद और ड्राई फ्रूट्स की अनुमति हैं।

लखनऊSep 23, 2024 / 09:10 am

Ritesh Singh

Lucknow Mankameshwar Temple

Tirupati Laddu Issue: लखनऊ के प्राचीनतम शिव मंदिर मनकामेश्वर मंदिर में एक बड़ा निर्णय लिया गया है। अब मंदिर में बाहर से लाया गया प्रसाद चढ़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। भक्तगण केवल घर में बनाए हुए प्रसाद और सूखे मेवों का ही उपयोग कर सकेंगे। मंदिर की महंत देव्यागिरि ने यह फैसला हाल ही में आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद के बाद लिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब मंदिर के गर्भगृह में बाहर से लाए गए प्रसाद को चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी। यह आदेश सोमवार प्रातः से प्रभावी हो जाएगा और मंदिर के बाहर इस संबंध में सूचना भी चस्पा कर दी गई है।

तिरुपति लड्डू विवाद ने लिया नया मोड़

आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू विवाद ने कई धार्मिक स्थलों पर प्रभाव डाला है। तिरुपति मंदिर में लड्डू का बंटवारा और बिक्री विवादों में घिरा रहा है, जिसके बाद यह सवाल उठा कि मंदिर में इस्तेमाल हो रहे प्रसाद की गुणवत्ता और पवित्रता सुनिश्चित की जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए मनकामेश्वर मंदिर की महंत ने यह फैसला लिया है।

घर का बना प्रसाद और ड्राई फ्रूट्स की अनुमति

महंत देव्यागिरि ने भक्तों से अपील की है कि वे घर में बने शुद्ध घी के प्रसाद या फिर सूखे मेवे को ही गर्भ गृह में अर्पित करें। बाजार से खरीदे गए प्रसाद में मिलावट और शुद्धता को लेकर सवाल खड़े होते हैं, इसलिए यह फैसला लिया गया है। महंत ने कहा कि मंदिर में पवित्रता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है और भक्तों को इस व्यवस्था का पालन करना चाहिए।
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मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अब मंदिर में बाहर से लाया गया प्रसाद या मिठाई स्वीकार नहीं की जाएगी। भक्तों को घर में बना हुआ प्रसाद जैसे- लड्डू, पंजीरी या सूखे मेवे ही चढ़ाने की अनुमति होगी। यह फैसला मंदिर की शुद्धता बनाए रखने और श्रद्धालुओं की भक्ति को सही दिशा देने के उद्देश्य से लिया गया है।

सख्ती से पालन होगा निर्णय का

मंदिर प्रशासन ने इस नए नियम को कड़ाई से लागू करने का निर्णय लिया है। इस नए नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मंदिर प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। भक्तों को गर्भ गृह में प्रवेश के समय ही यह निर्देश दिए जाएंगे कि वे बाजार से लाया हुआ प्रसाद पुजारी को न सौंपें। श्रीमहंत देव्यागिरि ने कहा कि यह कदम मंदिर की पवित्रता बनाए रखने और प्रसाद की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
Lucknow Mankameshwar Temple Prasad Ban

तिरुपति विवाद से प्रेरित यह फैसला

हाल ही में आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू की बिक्री और वितरण को लेकर उठे विवाद के बाद कई मंदिर प्रशासन अपनी प्रसाद नीति की समीक्षा कर रहे हैं। तिरुपति मंदिर का लड्डू विवाद इस समय धार्मिक और प्रशासनिक मुद्दा बन चुका है, जिसके कारण भक्तों की आस्था प्रभावित हो रही है। इसी कारण लखनऊ के इस प्रतिष्ठित मंदिर ने बाजार से आने वाले प्रसाद पर रोक लगाने का फैसला किया है।
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मनकामेश्वर मंदिर प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय भक्तों की सुरक्षा और प्रसाद की शुद्धता बनाए रखने के लिए उठाया गया कदम है। भक्तगण अब केवल घर में बना हुआ प्रसाद या सूखे मेवे मंदिर में चढ़ा सकते हैं, जिससे प्रसाद की शुद्धता और पवित्रता बनी रहेगी।

मंदिर में बाहरी प्रसाद बैन: मुख्य कारण और समाधान

मनकामेश्वर मंदिर का यह निर्णय मंदिर की पवित्रता और धार्मिक स्थलों की शुद्धता के मद्देनज़र लिया गया है। बाजार के प्रसाद की शुद्धता पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। इसलिए, भक्त अब बाजार से प्रसाद न लाकर सिर्फ घर में बने प्रसाद को ही अर्पित करेंगे। तिरुपति लड्डू विवाद ने भी इस फैसले को प्रेरित किया है।
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तिरुपति लड्डू विवाद आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ा एक विवाद है, जो मंदिर के “तिरुपति लड्डू” प्रसाद की गुणवत्ता और बिक्री को लेकर उभरा था। तिरुपति बालाजी मंदिर का यह लड्डू प्रसाद विश्वभर में मशहूर है और इसे भक्तगण बहुत पवित्र मानते हैं। लेकिन कुछ घटनाओं के चलते यह विवादास्पद हो गया था।
Lucknow Mankameshwar Temple Prasad Ban

तिरुपति लड्डू विवाद के मुख्य बिंदु

लड्डू की गुणवत्ता पर सवाल
समय-समय पर मंदिर में बनाए जाने वाले लड्डुओं की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आने लगीं। भक्तों का कहना था कि लड्डू की गुणवत्ता पहले जैसी नहीं रही और उसमें मिलावट या खराब सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है। इससे भक्तों की भावनाएं आहत हुईं, क्योंकि यह प्रसाद उनकी आस्था का प्रतीक है।

प्रसाद की कालाबाजारी

तिरुपति लड्डू की मांग बहुत अधिक है, और इसकी बिक्री को लेकर अक्सर कालाबाजारी की खबरें सामने आती रहीं। कई बार लड्डू तय कीमत से ज्यादा दाम पर बेचे जाते थे। बाहर के बाजारों में भी लड्डू बिकते पाए गए, जिससे मंदिर प्रशासन की नीतियों पर सवाल खड़े हुए।

लड्डू उत्पादन में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी

मंदिर प्रशासन ने लड्डू के उत्पादन और वितरण में कुछ प्राइवेट कंपनियों को शामिल किया था। इससे मंदिर के प्रसाद की शुद्धता और उत्पादन प्रक्रिया पर प्रश्न उठने लगे। भक्तों का मानना था कि व्यावसायिक लाभ के कारण प्रसाद की पवित्रता से समझौता किया जा रहा है।

कोरोना महामारी के दौरान मुद्दा

कोरोना महामारी के समय में, भक्तों की संख्या कम हो गई थी, लेकिन लड्डू का उत्पादन जारी रहा। इस दौरान कई जगहों पर तिरुपति लड्डू के वितरण और बिक्री को लेकर विवाद बढ़ गया, और इसने प्रशासन के कार्यों पर भी उंगली उठाई।

सुप्रीम कोर्ट में मामला

तिरुपति लड्डू विवाद ने इतना बड़ा मोड़ ले लिया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। मंदिर प्रशासन पर आरोप लगे कि वे प्रसाद को व्यावसायिक रूप से बेच रहे हैं, जबकि इसे केवल श्रद्धा के रूप में बांटना चाहिए।

मंदिर प्रशासन की सफाई

मंदिर प्रशासन ने इस विवाद पर सफाई दी और कहा कि लड्डू प्रसाद की शुद्धता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सख्त नियम हैं। उनका कहना था कि भक्तों को लड्डू निर्धारित कीमत पर ही बेचे जा रहे हैं, और कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रशासन कड़े कदम उठा रहा है। इसके अलावा, प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी केवल उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए थी, और इस पर सख्त निगरानी रखी जाती है।

इस विवाद का असर

तिरुपति लड्डू विवाद का असर अन्य मंदिरों पर भी पड़ा। जैसे लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में भी इस विवाद के बाद प्रसाद की शुद्धता को लेकर कदम उठाए गए। कई मंदिरों में बाहरी प्रसाद पर रोक लगाई गई और केवल घर में बने प्रसाद या सूखे मेवे को चढ़ाने की अनुमति दी गई।

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