सूत्रों के मुताबिक, स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को सबसे बड़ा दुख इस बात का है कि सपा (Samajwadi party) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी उनके खिलाफ आ रहे बयानों पर रोक नहीं लगा रहे हैं। मौर्य ने पार्टी नेतृत्व पर दलितों और पिछड़ों को उचित भागीदारी न दिए जाने का जो आरोप लगाया है।
दरअसल, मामला राज्यसभा चुनाव से जुड़ा है। यहां तीन में दो टिकट सामान्य वर्ग को दिए गए हैं। इससे भी स्वामी प्रसाद (Swami Prasad Maurya) नाराज बताए जा रहे हैं। स्वामी प्रसाद महासचिव होने के बावजूद टिकट वितरण की कोई जानकारी तक उन्हें नहीं दी गई। जानकारी के मुताबिक, जया बच्चन को पांचवीं बार प्रत्याशी बनाए जाने के खिलाफ हैं स्वामी प्रसाद।
सूत्रों का कहना है कि स्वामी प्रसाद (Swami Prasad Maurya) का सपा महासचिव पद से इस्तीफा दोतरफा लिटमस टेस्ट की तरह है। एक, सपा नेतृत्व कितना दबाव में आता है। दूसरा, दूसरे पार्टी से उन्हें कितना महत्व मिलता है।
सूत्रों का दावा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) नहीं चाहते थे कि फर्रुखाबाद से डॉ. नवल किशोर शाक्य को प्रत्याशी बनाया जाए। डॉ. शाक्य की शादी स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघामित्रा से हुई थी, लेकिन बाद में तलाक हो गया था। वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा को भी अवैज्ञानिक धारणा बता रहे हैं। ऐसे में सपा नेतृत्व के भगवान शालिग्राम की स्थापना से पहले पूजा-अर्चना का कार्यक्रम भी उन्हें पसंद नहीं आया है और इसी दिन उन्होंने महासचिव पद से इस्तीफे का एलान किया है।
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