विधानसभा में प्रस्ताव पास दरअसल, गुरुवार को यूपी विधानसभा में दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया गया। जिसे बाद में पारित कर दिया गया। इस विधेयक में राज्य के संबंध में सीआरपीसी, 1973 की धारा 438 में संशोधन का प्रस्ताव है। इस धारा में अग्रिम जमानत देने के लिए उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय की शक्तियों को परिभाषित किया गया।
यह भी पढ़े – UP Vidhanmandal Monsoon Session : उत्तर प्रदेश विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित अब आरोपी नहीं नष्ट कर सकेंगे सुबूत – सुरेश कुमार खन्ना संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने सदन को बताया कि, बालिकाओं और महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों में अग्रिम जमानत नहीं मिलने से आरोपी सबूत नष्ट नहीं कर सकेंगे। सुरेश कुमार खन्ना आगे कहा कि, दावा याचिका दायर करने की अवधि को तीन महीने से बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है। इसके अलावा, एक प्रावधान है कि ट्रिब्यूनल को मृत्यु के मामले में न्यूनतम 5 लाख रुपए और स्थायी विकलांगता के मामले में 1 लाख रुपए की मंजूरी का अधिकार होगा। हालांकि, अधिक रकम की मंजूरी पर ट्रिब्यूनल फैसला ले सकता है।
यह भी पढ़े – दुष्कर्म मामले में इटावा के मौलाना को दस साल की कैद, 10 हजार का जुर्माना रेप मामले में सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए सरकार ने एक बयान में दावा किया कि, यौन अपराधों में बायोलॉजिकल एविडेंस के त्वरित संग्रह को सुनिश्चित करने, जैविक साक्ष्य को मिटाने से रोकने, प्रासंगिक सबूतों को नष्ट करने की संभावना को कम करने और आरोपी के भीतर डर पैदा करने या पीड़ित या गवाह को मजबूर करने से रोकने के लिए आवश्यक संशोधन करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश लोक तथा निजि सम्पति क्षति वसूली संशोधन विधेयक 2022 भी पारित किया है।