दरअसल, लड़की प्रतापगढ़ स्थित रानीगंज के दुर्गागंज गांव निवासी महिला अपनी बेटी के साथ रहती थी। महिला के पति की 16 साल पहले मृत्यु हो गई थी। लेकिन थोड़ी दिन बाद महिला ने गांव में ही दूसरे व्यक्ति से विवाह कर लिया। उससे दो और बेटियां हुईं। लेकिन दूसरे पति की मारपीट से तंग आकर वह बेटियों को लेकर मायके आ गई। गांव में छप्पर के नीचे रहने लगी। इस दौरान बड़ी बेटी के पेट में दर्द शुरू हो गया। पेट बड़ा होने लगा और दर्द से जूझकी रही। ऐसे में लोग उसे गर्भवती समझते रहे। जांच और इलाज के अभाव में वह घर पर ही पड़ी रही। इस बीच लोग उसे खूब ताने देते रहे। ऐसे करते करते 11 महीने बीत गए।
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किसानों को अब फसल में नहीं होगा नुकसान, फसलों की ग्रोथ रुकी तो ये डिवाइस करेगी अलर्ट गांव में कराई गर्भ की जांच गांव के प्रधान मे स्वास्थ्यकर्मी को बुलाकर नाबालिग की गर्भ की जांच कराई, लेकिन पुष्टि नहीं हुई। उधर, लड़की की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने किशोरी को जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने लड़की को प्रयागराज भेज दिया। डॉक्टरों ने इलाज पर डेढ़ लाख रुपये का खर्च बताया। ऐसी स्थिति में डॉक्टरों ने लखनऊ केजीएमयू भेज दिया। जहां डॉक्टरों ने सफल आपरेशन कर 15 किलो का ट्यूमर निकाला।