बाराबंकी पहुंचे 1220 मजदूर आंध्र प्रदेश में काम कर रहे बाराबंकी, हरदोई और लखनऊ के 1220 मजदूर गुरुवार को बाराबंकी पहुंचे। इनमें 450 बाराबंकी के, 250 हरदोई के और बाकी लखनऊ के लोग शामिल थे। इन लोगों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन बाराबंकी रेलवे स्टेशन पहुंची तो पुलिस और प्रशासनिक अमला फौरन हरकत में आ गया। अधिकारियों का पूरा ध्यान श्रमिकों को बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना और कोरोना से बचाव के सारे उपायों को लागू कराना था। इसको लेकर पुख्ता बंदोबस्त भी किये गए थे। इन श्रमिकों का कहना था कि बड़ी मशक्कत के बाद आज उन्हें यह दिन देखने को मिला है। मजदूरों ने बताया कि उनसे सफर का कोई किराया नहीं लिया गया। वह अपनी घर वापसी के काफी खुश हैं और सरकार को बहुत धन्यवाद करते हैं।
1200 मजदूर नासिक से पहुंचे सीतापुर नासिक से 1400 श्रमिकों को लेकर श्रमिक एक्सप्रेस गुरुवार सुबह करीब साढ़े दस बजे सीतापुर जंक्शन पर पहुंची। रेलवे जंक्शन पर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में एक-एक कर सभी कि थर्मल स्क्रीनिंग हुई और इसी के बाद सभी को गंतव्य तक भेजा गया। 1200 लोगों में अधिकतर लोग पड़ोसी जनपद लखीमपुर खीरी के रहने वाले थे। कुछ ऐसे भी थे, जो सीतापुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। इनको ले जाने के लिए रोडवेज बसों की व्यवस्था की गई। जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी ने बताया कि सभी श्रमिकों को सोशल डिस्टेंसिंग के बीच 20 बसों के सहारे भेजा जा गया है।
सूरत से बांदा पहुंचे 1220 मजदूर गुजरात में फंसे 1220 प्रवासी मजदूरों को सूरत महानगर से लेकर एक स्पेशल श्रमिक ट्रेन बांदा पहुंची। यहां रेलवे स्टेशन में ही सभी मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई और उन्हें बसों से नजदीकी आश्रय स्थल भेजा गया। गोलों में खड़ा कराने के बाद सभी की थर्मल स्क्रीनिंग हुई और फिर बसों से उनको घरों के लिए रवाना कर दिया गया। इस ट्रेन में 1,070 मजदूर बांदा जिले के अलावा बाकी चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर और फतेहपुर के मजदूर वापस अपने घर आए थे। बाहरी जनपदों के मजदूरों के बारे में संबंधित जिलाधिकारियों को सूचित किया गया।
कोई बोला- थैंक्यू, किसा ने कहा अब नहीं जाएंगे परदेस ट्रेन से बाराबंकी पहुंचे कय्यूम, मोहम्मद अरमान, अमन और राजेश सहित कई श्रमिकों ने बताया कि उनके मालिकों ने बुरे समय में साथ छोड़ दिया। अब अपने गांव में ही काम करेंगे। घर छोड़कर पंजाब और दूसरे राज्यों में काम करने नहीं जाएंगे। बांदा, सीतापुर औऱ बरेली पहुंचे श्रमिकों ने बताया कि जब वह स्टेशन पहुंचे तो वह सभी भूख से बेहाल थे। उनके पास पीने का पानी तक नहीं था। इसके बाद रेलवे ने मजदूरों के खाने और पानी का इंतजाम करवाया, जिसके बाद उनके चेहरे पर रौनक लौटी। हमसे किराये का पैसा भी नहीं लिया गया। इसके लिए हम मोदी और योगी जी का धन्यवाद करते हैं।