सात परियोजनाओं को वित्त मंत्रालय की मिली मंजूरी
बताया जा रहा है कि पूरे देश में एक समान मानकों पर मेट्रो परियोजनाएं लागू करने के लिए पिछले साल मेट्रो नीति 2017 लागू होने के बाद पहली बार सात परियोजनाओं को वित्त मंत्रालय की मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही देश के तमाम शहरों के लिए राज्य सरकारों ने मेट्रो परिचालन की केन्द्र सरकार से अनुमति मांगी है। सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बताया कि मानकों पर खरी उतरने वाली सात परियोजनाओं को वित्त मंत्रालय की सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद केन्द्र सरकार के लोक निवेश बोर्ड (पीआईबी) द्वारा इन परियोजनाओं के वित्त पोषण की रूपरेखा तय की जाएगी। इसके बाद इन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
मेट्रो रेल परियोजनाओं को वित्त मंत्रालय से मिली स्वीकृति
केंद्रीय शहरी विकास सचिव डीएस मिश्रा ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने दिल्ली में मेट्रो रेल के चौथे चरण के मसौदे पर भी हामी भरी है। मिश्रा ने एक विशेष बातचीत में कहा कि रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के प्रस्ताव को पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) में भेज दिया गया है। उसकी मंजूरी के बाद प्रस्ताव के आधार पर कैबिनेट नोट तैयार किया जाएगा। आरआरटीएस राजधानी दिल्ली और मेरठ के बीच बनेगा। जिससे यह दूरी मात्र 45 मिनट में तय हो जाएगी। नई मेट्रो नीति के तहत उत्तर प्रदेश के तीन शहरों कानपुर, आगरा और मेरठ की मेट्रो रेल परियोजनाओं को स्वीकृति वित्त मंत्रालय से मिल गई है।
मेट्रो रेल के स्वदेशीकरण, मानकीकरण पर दिया जाएगा जोर
सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बताया है कि मेट्रो रेल के प्रणेता ई. श्रीधरन की अध्यक्षता में केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति देश के विभिन्न शहरों में बनने वाली मेट्रो रेल की लागत में कटौती करने के लिए गठित की गई है। इसके तहत मेट्रो रेल के स्वदेशीकरण और मानकीकरण पर पूरा जोर दिया जाएगा। फिलहाल सभी मेट्रो रेल के अलग-अलग मानक बने हुए हैं। जिनमें समानता ला ने से उत्पादन लागत में बहुत कमी आने की उम्मीद हो सकती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय से भी मिली मंजूरी
इसके साथ ही सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा बताया है कि इसके तहत मेट्रो रेल के डिब्बों व इंजन का मानकीकरण पहले ही कर दिया गया है। कम्युनिकेशन और इलेक्टि्रफिकेशन की दिशा में बहुत कुछ काम करना है। मेट्रो स्टेशनों के मानकीकरण से बहुत अधिक बचत की उम्मीद हो सकती है। रेलवे से तकनीकी सहमति लेने में बहुत समय लगता था, जो श्रीधरन कमेटी के गठन से बहुत जल्दी हो जाएगा। नीति आयोग के इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री कार्यालय से भी मंजूरी मिल गई है।