कौन था जान बचाने वाला वफादार मुसलमान वर्ष 1576 में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच यह युद्ध हुआ। अकबर की सेना को मानसिंह लीड कर रहे थे। इतिहास के अनुसार मानसिंह के साथ 10 हजार घुड़सवार और हजारों पैदल सैनिक थे। लेकिन महाराणा प्रताप 3 हजार घुड़सवारों और मुट्ठी भर पैदल सैनिकों के साथ लड़ रहे थे। इस दौरान मानसिंह की सेना की तरफ से महाराणा पर वार किया जिसे, महाराणा के वफादार हकीम खान सूर ने अपने ऊपर ले लिया और उनकी जान बचा ली थी।
यह भी पढ़े – यूक्रेन के गांवों और झाड़ियों में छुपकर पढ़ा रहे शिक्षक, क्या अधूरा रह जाएगा छात्रों का MBBS डॉक्टर बनने का सपना क्या है घोड़ा चेतक की कहानी चेतक महाराणा का सबसे प्रिय घोड़ा था। हल्दीघाटी में महाराणा बहुत घायल हो गये थे, उनके पास कोई सहायक नहीं था। ऐसे में महाराणा ने चेतक की लगाम थामी और निकल लिए। उनके पीछे दो मुगल सैनिक लगे हुए थे, पर चेतक की रफ़्तार के सामने दोनों ढीले पड़ गए। रास्ते में एक पहाड़ी नाला बहता था। चेतक भी घायल था पर छलांग मार नाला फांद गया और मुग़ल सैनिक मुंह ताकते रह गए। लेकिन अब चेतक थक चुका था। ऐसे में महाराणा की जान तो बचा दी पर खुद शहीद हो गया।
महाराणा प्रताप की थीं 11 बीवियां महाराणा प्रताप की कुल 11 बीवियां थीं और महाराणा की मृत्यु के बाद सबसे बड़ी रानी महारानी अजाब्दे का बेटा अमर सिंह प्रथम राजा बना। यह भी पढ़े – क्या वाकई ताजमहल के 20 कमरों में बंद है भगवान शिव, हाईकोर्ट में कमरों की खुलवाने की याचिका दायर
प्रजा ही थी राणा की सेना राणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ के किले में हुआ था। ये किला दुनिया की सबसे पुरानी पहाड़ियों की रेंज अरावली की एक पहाड़ी पर है। राणा का पालन-पोषण भीलों की कूका जाति ने किया था। भील राणा से बहुत प्यार करते थे। वे ही राणा के आंख-कान थे। जब अकबर की सेना ने कुम्भलगढ़ को घेर लिया तो भीलों ने जमकर लड़ाई की और तीन महीने तक अकबर की सेना को रोके रखा।
घास की रोटियां जब महाराणा प्रताप अकबर से हारकर जंगल-जंगल भटक रहे थे एक दिन पांच बार भोजन पकाया गया और हर बार भोजन को छोड़कर भागना पड़ा। एक बार प्रताप की पत्नी और उनकी पुत्रवधू ने घास के बीजों को पीसकर कुछ रोटियां बनाईं। उनमें से आधी रोटियां बच्चों को दे दी गईं और बची हुई आधी रोटियां दूसरे दिन के लिए रख दी गईं। इसी समय प्रताप को अपनी लड़की की चीख सुनाई दी। एक जंगली बिल्ली लड़की के हाथ से उसकी रोटी छीनकर भाग गई और भूख से व्याकुल लड़की के आंसू टपक आये। यह देखकर राणा का दिल बैठ गया। अधीर होकर उन्होंने ऐसे राज्याधिकार को धिक्कारा, जिसकी वज़ह से जीवन में ऐसे करुण दृश्य देखने पड़े। इसके बाद अपनी कठिनाइयां दूर करने के लिए उन्होंने एक चिट्ठी के जरिये अकबर से मिलने की इच्छा जता दी।