Yogi Government: आउटसोर्सिंग कर्मियों के शोषण से बचाव के लिए सरकार का बड़ा कदम: बनेगा “आउटसोर्स सेवा निगम”
हेड काउंट के लिए अत्याधुनिक तकनीकें तैनातमहाकुंभ में श्रद्धालुओं की सही संख्या जानने और उन्हें ट्रैक करने के लिए एआई, आरएफआईडी रिस्टबैंड, और मोबाइल एप्लिकेशन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह न केवल प्रशासन को प्रबंधन में मदद करेगा, बल्कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए रियल-टाइम डाटा भी प्रदान करेगा।
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तकनीकों का विस्तृत विवरण
1. सीसीटीवी और एआई कैमरों का उपयोगमहाकुंभ क्षेत्र में 744 अस्थायी और 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे एआई एल्गोरिदम का उपयोग करके भीड़ की सटीक गिनती करेंगे। प्रमुख स्नान घाटों पर विशेष “पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरे” लगाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं की पहचान और ट्रैकिंग में सहायक होंगे।
हर श्रद्धालु को एक आरएफआईडी रिस्टबैंड दिया जाएगा, जिसमें उनकी एंट्री और एग्जिट टाइम दर्ज होगा। यह सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि घाट पर एक श्रद्धालु ने कितना समय बिताया और कितनी बार वह मेला क्षेत्र में प्रवेश और निकास कर चुका है।
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3. मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा ट्रैकिंगश्रद्धालुओं की सहमति पर, मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए उनकी लोकेशन जीपीएस से ट्रैक की जाएगी। यह एप्लिकेशन यात्रियों को मेला क्षेत्र में उनकी स्थिति के बारे में रियल-टाइम जानकारी भी प्रदान करेगा।
मेला क्षेत्र में विशेष मॉनिटरिंग केंद्र
प्रयागराज में इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (आईसीसीसी) स्थापित किया गया है।
पुलिस लाइन, अरैल, और झूंसी में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं।
ये सेंटर्स 24×7 श्रद्धालुओं की ट्रैकिंग करेंगे और किसी भी आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
श्रद्धालुओं की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल मॉनिटरिंग की जाएगी। इसमें घाट पर बिताए गए औसत समय का आकलन किया जाएगा।
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प्राथमिक फोकस: घाट क्षेत्र: सुबह 3 बजे से शाम 7 बजे तक का समय स्नान के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान एआई कैमरे पूरी क्षमता से एक्टिव रहेंगे।महाकुंभ में गिनती का महत्व और चुनौती
इतिहास रचने की तैयारी: महाकुंभ में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का सटीक हेडकाउंट दुनिया में अपनी तरह का पहला उदाहरण होगा। यह आयोजन भारत की तकनीकी क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करेगा।40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की गिनती करना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, एआई, आरएफआईडी और मोबाइल एप्लिकेशन जैसी तकनीकों के साथ यह संभव हो पाएगा।
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माघ मेले में हुआ सफल परीक्षणमाघ मेले 2023 के दौरान इन तकनीकों का सफल परीक्षण किया गया। इनसे हेडकाउंट का 95% तक सटीक अनुमान लगाया गया। यह महाकुंभ में इन तकनीकों की सफलता की गारंटी है।
महाकुंभ 2025: आध्यात्मिकता और तकनीकी का संगम
आधुनिकता के साथ सांस्कृतिक विरासत का संरक्षणमहाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता के अद्वितीय संगम का प्रतीक भी बनेगा।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग स्थलों, भोजन वितरण केंद्रों और चिकित्सा शिविरों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
महाकुंभ 2025 के लिए विशेष प्रयास
संख्या का अनुमान: पहली बार इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं की गिनती की जाएगी।Ram Mandir Pujari Rules: राम मंदिर में 10 पुजारियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी, जानें नए नियम
महाकुंभ 2025 के लिए तैयारियां चरम परमहाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि तकनीकी उत्कृष्टता का भी प्रदर्शन होगा। श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक अनुमान लगाकर, यह आयोजन पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनेगा।