लखनऊ

Maha Kumbh 2025: दुनिया का सबसे बड़ा हेड काउंट, आधुनिक तकनीकों के सहारे एक-एक श्रद्धालु पर नजर

Maha Kumbh 2025 में प्रयागराज में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति की उम्मीद है। इस ऐतिहासिक आयोजन में एआई, आरएफआईडी रिस्टबैंड्स, और जीपीएस आधारित मोबाइल एप्स जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जिससे सटीक हेड काउंट और प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित होगा।

लखनऊDec 10, 2024 / 03:39 pm

Ritesh Singh

 Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होने जा रहा है। 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उम्मीद के साथ, उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी कर रहा है। यह महाकुंभ सिर्फ अपनी भव्यता के लिए ही नहीं, बल्कि मॉडर्न तकनीकों के सहारे दुनिया का सबसे बड़ा हेड काउंट करने के लिए भी याद किया जाएगा।
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हेड काउंट के लिए अत्याधुनिक तकनीकें तैनात
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सही संख्या जानने और उन्हें ट्रैक करने के लिए एआई, आरएफआईडी रिस्टबैंड, और मोबाइल एप्लिकेशन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह न केवल प्रशासन को प्रबंधन में मदद करेगा, बल्कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए रियल-टाइम डाटा भी प्रदान करेगा।
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तकनीकों का विस्तृत विवरण

1. सीसीटीवी और एआई कैमरों का उपयोग
महाकुंभ क्षेत्र में 744 अस्थायी और 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे एआई एल्गोरिदम का उपयोग करके भीड़ की सटीक गिनती करेंगे। प्रमुख स्नान घाटों पर विशेष “पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरे” लगाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं की पहचान और ट्रैकिंग में सहायक होंगे।
2. आरएफआईडी रिस्टबैंड से ट्रैकिंग
हर श्रद्धालु को एक आरएफआईडी रिस्टबैंड दिया जाएगा, जिसमें उनकी एंट्री और एग्जिट टाइम दर्ज होगा। यह सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि घाट पर एक श्रद्धालु ने कितना समय बिताया और कितनी बार वह मेला क्षेत्र में प्रवेश और निकास कर चुका है।
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3. मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा ट्रैकिंग
श्रद्धालुओं की सहमति पर, मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए उनकी लोकेशन जीपीएस से ट्रैक की जाएगी। यह एप्लिकेशन यात्रियों को मेला क्षेत्र में उनकी स्थिति के बारे में रियल-टाइम जानकारी भी प्रदान करेगा।
प्रमुख व्यवस्थाएं और प्रबंधन रणनीतियां
मेला क्षेत्र में विशेष मॉनिटरिंग केंद्र
प्रयागराज में इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (आईसीसीसी) स्थापित किया गया है।
पुलिस लाइन, अरैल, और झूंसी में भी व्यूइंग सेंटर्स बनाए गए हैं।
ये सेंटर्स 24×7 श्रद्धालुओं की ट्रैकिंग करेंगे और किसी भी आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
टर्नअराउंड साइकिल और सैंपलिंग प्रक्रिया
श्रद्धालुओं की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल मॉनिटरिंग की जाएगी। इसमें घाट पर बिताए गए औसत समय का आकलन किया जाएगा।

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प्राथमिक फोकस: घाट क्षेत्र: सुबह 3 बजे से शाम 7 बजे तक का समय स्नान के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान एआई कैमरे पूरी क्षमता से एक्टिव रहेंगे।

महाकुंभ में गिनती का महत्व और चुनौती

इतिहास रचने की तैयारी: महाकुंभ में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का सटीक हेडकाउंट दुनिया में अपनी तरह का पहला उदाहरण होगा। यह आयोजन भारत की तकनीकी क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करेगा।
सटीकता और प्रबंधन की चुनौती
40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की गिनती करना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, एआई, आरएफआईडी और मोबाइल एप्लिकेशन जैसी तकनीकों के साथ यह संभव हो पाएगा।

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माघ मेले में हुआ सफल परीक्षण
माघ मेले 2023 के दौरान इन तकनीकों का सफल परीक्षण किया गया। इनसे हेडकाउंट का 95% तक सटीक अनुमान लगाया गया। यह महाकुंभ में इन तकनीकों की सफलता की गारंटी है।

महाकुंभ 2025: आध्यात्मिकता और तकनीकी का संगम

आधुनिकता के साथ सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता के अद्वितीय संगम का प्रतीक भी बनेगा।
यात्रियों की सुविधा पर विशेष ध्यान
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग स्थलों, भोजन वितरण केंद्रों और चिकित्सा शिविरों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।

महाकुंभ 2025 के लिए विशेष प्रयास

संख्या का अनुमान: पहली बार इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं की गिनती की जाएगी।
ग्लोबल रिकॉर्ड: महाकुंभ 2025 में हेडकाउंट दुनिया का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाएगा।

आधुनिक तकनीक का उपयोग: एआई और आरएफआईडी जैसी तकनीकों का इस्तेमाल।

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महाकुंभ 2025 के लिए तैयारियां चरम पर
महाकुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि तकनीकी उत्कृष्टता का भी प्रदर्शन होगा। श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक अनुमान लगाकर, यह आयोजन पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनेगा।

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