लखनऊ. Surprisingly monastery Tample God Aadhar Card necessary उप्र में किसानों को यदि सरकार को अनाज बेचना है तो ऑनलाइन पंजीयन अनिवार्य है। लेकिन यह अनिवार्यता प्रदेश के उन मठ-मंदिरों के लिए मुसीबत बन गयी है जिनके पास सैकड़ो बीघा जमीन है। और उन खेतों में हर साल कुंतलों धान और गेहूं जैसी फसलें उपजती हैं। हाल ही में बांदा के खुरहंड स्थित रामजानकी विराजमान मंदिर की जमीन पर उपजा गेहूं नियमों के फेर में फंस गया है। भगवान का आधार कार्ड न होने से सरकारी खरीद केंद्र में गेहूं नहीं बिक पाया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश के साधु-संत लामबंद हो रहे हैं। उनका कहना है कि मठों से आधार कार्ड मांगना गलत है। सरकार अपने फैसले पर पुर्नविचार करे।
कोरोना वैक्सीन की अफवाह फैलाना पड़ेगा महंगा, शासन ने अपनाया सख्त रुख रामजानकी विराजमान मंदिर के महंत रामकुमार दास का कहना है कि मंदिर के नाम पर करीब सात हेक्टेयर जमीन है। पांच बीघे में बाग है। शेष पर गेहूं, चना, मटर और धान की खेती होती है। करीब 100 कुंतल गेहूं हुआ है। गेहूं की बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीयन को एसडीएम कार्यालय से रद कर दिया गया। बताया गया आधार कार्ड के बिना पंजीयन नहीं हो सकता। महंत कहते हैंजमीन रामजानकी विराजमान मंदिर के नाम पर है। जमीन के मालिक भगवान हैं, अब वह भगवान का आधारकार्ड कहां से लाएं। उनका कहना है अब तक कोई अड़चन नहीं थी। हर साल फसल की बिक्री सरकारी क्रय केंद्र में करते थे।
बाघंबरी गद्दी मठ के पास 80 बीघा जमीन प्रयागराज में बाघंबरी गद्दी मठ के पास प्रयागराज और कौशांबी 80 बीघा से अधिक कृषि भूमि है। यह संक्रमणीय भूमिधरी है, जिस पर गेंहू, धान केे अलावा अन्य फसलें उगाई जाती हैं। लेकिन मठ की गद्दी के नाम से कोई आधार कार्ड नहीं है। बाघंबरी गद्दी मठ के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि हैं
क्रियायोग आश्रम 180 बीघे का किसान क्रिया योग आश्रम, झूंसी के पास करछना में 120 बीघा और बरौत के पास 60 बीघा भूमि है। आश्रम के संस्थापक स्वामी योगी सत्यम हैं। क्रियायोग आश्रम के नाम पर आधार कार्ड बना है। इसी तरह झूंसी के ही सदाफल देव आश्रम के पाास भी 10 एकड़ भूमि पर सब्जियां उगाई जाती हैं। इनका आधार कार्ड नहीं है।
मठों से भगवान का आधार कार्ड मांगना गलत: महंत नरेंद्र गिरि मठ -मंदिरों का अनाज बेचने के लिए भगवान का आधार कार्ड मांगे जाने पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि भगवान का आधार कार्ड मांगना गलत है। यह परेशान करने का तरीका है। आधार कार्ड आईडी व्यक्ति के लिए है भगवान के लिए नहीं। अफसरों को अपने रवैये में बदलाव करना चाहिए। नियम नहीं बदला तो प्रदेश भर के मठ-मंदिर एकजुट होकर इसका विरोध करेंगे।
खतौनी नहीं आधार कार्ड जरूरी बांदा के जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी गोविंद कुमार उपाध्याय का कहना है कि मंदिर, मठ और ट्रस्ट की फसल नहीं खरीदी जा सकती है। यह क्रय नीति में नहीं है। पहले खतौनी के आधार पर खरीद होती थी, अब पंजीयन के बाद खरीद होती है, जिसके लिए आधार कार्ड जरूरी है।