हुसैनाबाद ट्रस्ट का फैसला
हुसैनाबाद ट्रस्ट ने 2011 में फूल मंडी की जमीन 100 साल की लीज पर दी थी, लेकिन इस साल इसे निरस्त करते हुए जमीन खाली करने का आदेश दिया गया। गुरुवार को फूल मंडी हटाने के दौरान नगर निगम टीम के साथ हुसैनाबाद ट्रस्ट के लोग भी मौके पर मौजूद रहे। भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में बुलडोजर से वहां बने निर्माणों को ध्वस्त किया गया। यह पूरी कार्रवाई एसडीएम और एसीपी चौक की मौजूदगी में हुई।किसान बाजार में नई जगह
29 सितम्बर 2019 को विभूति खंड, गोमती नगर स्थित किसान बाजार में चौक फूल मंडी को स्थानांतरित किया गया था। इसके बाद फूल व्यापारी कल्याण समिति ने स्वयं फूल मंडी हटाने का समय मांगा था। मंडी न हटाए जाने के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। फूल मंडी को पॉश गोमती नगर में बने किसान बाजार में स्थापित किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि फूल मंडी से हटाए गए लोगों को वहां दुकान दी जाएगी। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सजावट के लिए भी यहीं से फूल भेजे गए थे। यह भी पढ़ें
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कारोबारियों का विरोध
फूल मंडी हटाने का विरोध कर रहे दुकानदारों का कहना है कि यहां से 150 से ज्यादा परिवार जुड़े हैं। आसान पहुंच के चलते लखनऊ के पड़ोसी जिले सीतापुर और हरदोई से किसान यहां थोक में फूल बेचने के लिए आते थे। नई मंडी का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पुरानी मंडी में 120 दुकानें थीं और बड़ी तादाद में लोग जमीन पर फूल बिछाकर व ठेलों पर भी दुकान थोक में चलाते थे। नए मंडी स्थल किसान बाजार में अब तक एक दर्जन लोगों को भी दुकान नहीं दी गई है और पुरानी जगह पर बुलडोजर चला दिया गया है।कारोबारियों की समस्याएं
फूल मंडी के कारोबारी मकसूद हसन ने बताया कि किसान बाजार में कम तादाद में दुकानें हैं और सभी लोगों को समायोजित नहीं किया जा सकता है। चौक मंडी हटाए जाने का विरोध कर रहे आचार्य त्रिवेदी का कहना है कि पुरानी फूल मंडी में थोक के साथ ही बड़ी खुदरा दुकानें भी लगती थीं और सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी। किसान दुकानदारों के लिए कोई जगह नहीं है।चौक फूल-मंडी का इतिहास की कुछ खास बातें
लखनऊ की चौक फूल-मंडी का इतिहास शहर की समृद्ध सांस्कृतिक और व्यापारिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंडी कई दशकों से फूलों के व्यापार का केंद्र रही है और इसकी स्थापना और विकास के कई महत्वपूर्ण चरण रहे हैं। यहाँ इस मंडी के इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं:प्रारंभिक स्थापना
चौक फूल-मंडी की स्थापना 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुई थी। यह मंडी लखनऊ के पुराने शहर के चौक इलाके में स्थित थी, जो उस समय व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था। यहां पर स्थानीय किसान और व्यापारी अपने फूल लाकर बेचते थे।व्यापार का विकास
20वीं शताब्दी के मध्य तक, चौक फूल-मंडी लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में फूलों के व्यापार का प्रमुख केंद्र बन चुकी थी। यहाँ पर ताजे फूलों की कई किस्में, जैसे गुलाब, गेंदा, चमेली, और अन्य सजावटी फूल, बिकने के लिए लाए जाते थे। धीरे-धीरे यह मंडी अपने बड़े आकार और व्यापक व्यापारिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हो गई। यह भी पढ़ें
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सांस्कृतिक महत्व
फूलों का व्यापार केवल आर्थिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी था। चौक फूल-मंडी लखनऊ की सामाजिक गतिविधियों का एक हिस्सा बन गई थी, जहां विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए फूलों की खरीदारी की जाती थी। विवाह, त्योहार, और अन्य महत्वपूर्ण समारोहों में इस मंडी के फूलों का विशेष स्थान था।प्रशासनिक हस्तक्षेप और स्थानांतरण
2011 में, हुसैनाबाद ट्रस्ट ने मंडी की जमीन को 100 साल की लीज पर दी थी। हालांकि, 2023 में, इस लीज को निरस्त कर दिया गया और मंडी को खाली करने का आदेश दिया गया। 29 सितम्बर 2019 को विभूति खंड, गोमती नगर स्थित किसान बाजार में चौक फूल-मंडी को स्थानांतरित किया गया।वर्तमान स्थिति
गुरुवार को प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर चौक फूल-मंडी को ध्वस्त कर दिया और पूरे क्षेत्र को खाली करा लिया। इसके बाद, व्यापारियों को गोमती नगर स्थित किसान बाजार में स्थानांतरित किया गया। हालांकि, इस स्थानांतरण को लेकर व्यापारियों में असंतोष है, क्योंकि नई जगह पर सभी व्यापारियों को समायोजित करना संभव नहीं हो पाया है। यह भी पढ़ें