यूपी के किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने का आखिरी मौका, सिर्फ चार दिन बाकी हिन्दू नववर्ष से नए पंचांग की शुरुआत :- संवत्सर की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी, जिस वजह से इसे विक्रम संवत कहा जाता है। भारतीय कालगणना में विक्रम संवत पंचाग का बहुत महत्व है। हिन्दू नववर्ष से नए पंचांग की शुरुआत हो जाती है। विक्रम संवत पंचाग से वर्षभर के शुभकार्यों के शुभ मुहूर्त तय किए जाते हैं। यह अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। अभी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2021 चल रहा है तो वहीं नवसंवत्सर 2078 होगा।
नवसंवत्सर 2078 का नाम राक्षस :- शास्त्रों में कुल 60 संवत्सर हैं। इन 60 संवत्सर को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इनके अलग अलग नाम होते है। अभी ननवसंवत्सर 2077 चल रहा है, जिसका नाम प्रमादी है। 13 अप्रैल को आने वाले नवसंवत्सर 2078 का नाम “आनंद” होना चाहिए। इस बार विचित्र संयोग बना रहा है जिसकी वजह से नवसंवत्सर 2078 का नाम “राक्षस” होगा।
13 अप्रैल को मेष संक्रांति भी :- लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी ज्योतिषचार्य अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि, इस साल 13 अप्रैल 2021 को रात्रि 2 बजकर 32 मिनट पर सूर्य, मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इस वजह से इस दिन मेष संक्रांति होगी। संवत्सर प्रतिपदा तिथि और मेष संक्राति का एक दिन पड़ना अपने आप में अद्भुत है। यह संयोग करीब 90 वर्षों के बाद बन रहा है। इस नवसंवत्सर के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही ग्रह, मीन राशि में ठीक एक ही अंश पर उपस्थित रहेंगे। इसका मतलब साफ है कि मीन राशि में ही नवीन चंद्रमा उदय होगा।
आर्थिक स्थिति में आएगा भारी सुधार :- प्रभावों के बारे मे अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नव संवत्सर का राजा और मंत्री दोनों का पदभार मंगल पर होगा। मंगल एक क्रूर और उग्र ग्रह माना जाता है, इसलिए ऐसी संभावना है कि इस वर्ष दुर्घटना, संक्रामक रोग और प्राकृतिक आपदाओं की घंटनाएं हो सकती हैं। लोगों के अंदर भोग-विलास, स्वार्थी वृत्तियों की वृद्धि हो सकती है। इस संवत्सर के शुभ प्रभाव अति उत्तम हैं, बृहस्पति ग्रह की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति (economic condition) में भारी सुधार आएगा। यह वर्ष नए कानूनों को लागू करने के लिए अच्छा होगा, साथ ही किसानों को भी इस साल लाभ मिल सकता है।