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Lok Sabha Election 2024: चुनाव से पहले छोटे दलों पर दांव लगा रही BJP, आखिर क्या है भाजपा का मास्टरप्लान

Lok Sabha Election 2024: 2019 से 2024 के बीच गठबंधन की सियासत में प्रदेश में बड़ा उतार-चढ़ाव आया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार बीजेपी को कथित तौर पर मोदी लहर के बावजूद छोटे दलों की जरूरत क्यों है।

लखनऊMar 13, 2024 / 10:36 am

Sanjana Singh

Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Elections 2024: करीब 24 करोड़ की आबादी वाले राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं। यहां जाति और क्षेत्रवाद की भावना प्रबल है। अलग-अलग जाति और समाज में दबदबा रखने वाले क्षेत्रीय दलों का साथ जरूरी है। विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव 2024 भी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा के इर्दगिर्द घूमता नजर आने लगा है। दोनों ने ही अपने-अपने नेतृत्व में सहयोगी तलाश रहे हैं।

भाजपा में अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) का अपना दल एस और मंत्री संजय निषाद (Sanjay Nishad) की पार्टी निषाद पार्टी पहले की तरह शामिल है। अब इसी कड़ी में रालोद और सुभासपा भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। वहीं, सपा और कांग्रेस गठबंधन की बात करें तो वह अभी उम्मीद के हिसाब से आकार नहीं ले पाया है। प्रदेश में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व सपा मुखिया अखिलेश यादव के हाथ है, जिसमें कांग्रेस जूनियर सहयोगी की भूमिका में है।

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इंडिया में शामिल आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी सपा-कांग्रेस गठबंधन में शामिल नहीं हो पाई है। बसपा को जोड़ने का प्रयास फिलहाल सफल होता नजर नहीं आ रहा है, क्यूंकि मायावती (Mayawati) लगातार अकेले चुनाव लड़ने की बात दोहरा रही हैं। वहीं, अपना दल (कमेरावादी) सपा के साथ है और आजाद समाज पार्टी भी साथ आ सकती है।

2019 से 2024 के बीच पांच सालों की बात करें तो गठबंधन की सियासत में प्रदेश में बड़ा उतार-चढ़ाव आया है। बदले हालात में कौन गठबंधन प्रदेश के अलग- अलग इलाकों के जातीय जंजाल को भेद कर अपने प्रदर्शन में कितना सुधार कर पाता है, इसपर सबकी नजरें हैं। 2019 के चुनाव की बात करें तो भाजपा गठबंधन को 80 में 64, सपा-बसपा- रालोद गठबंधन को 15 और कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा था।

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एक न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक विश्लेषक प्रो. गोपाल प्रसाद कहते हैं कि यूपी के लिहाज से देखें तो भाजपा (वोट शेयर-49.98 प्रतिशत), सपा (18.11 प्रतिशत) और बसपा (19.43 प्रतिशत) जैसी पार्टियां तमाम लोकसभा सीटों पर लाख में वोट हासिल करती हैं। लेकिन कई सीटें 5-10-20-25 हजार वोटों से हार जाती हैं। सिर्फ अपने जातियों की राजनीति करने वाले छोटे दल चुनाव जीतने वाला आधार तो पैदा नहीं कर पाते। पर, ये पार्टियां 5 से 25 हजार और कई लोकसभा सीटों पर आबादी के हिसाब से 40-50 हजार वोट का आधार बनाने में सक्षम होती हैं।

अपना दल एस से कुर्मी आबादी- 7.46%
सुभासपा से राजभर आबादी- 2.44%
निषाद पार्टी से निषाद, बिंद, मल्लाह, धीवर, केवट आदि आबादी- 4.33%
राष्ट्रीय लोकदल से जाट आबादी- 3.60%
समाजवादी पार्टी से यादव आबादी- 19.40%

(नोट- राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में बनी सामाजिक न्याय समिति के अनुसार हिंदू ओबीसी में मुख्य जातियों की आबादी । )

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