भाजपा में अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) का अपना दल एस और मंत्री संजय निषाद (Sanjay Nishad) की पार्टी निषाद पार्टी पहले की तरह शामिल है। अब इसी कड़ी में रालोद और सुभासपा भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। वहीं, सपा और कांग्रेस गठबंधन की बात करें तो वह अभी उम्मीद के हिसाब से आकार नहीं ले पाया है। प्रदेश में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व सपा मुखिया अखिलेश यादव के हाथ है, जिसमें कांग्रेस जूनियर सहयोगी की भूमिका में है।
यह भी पढ़ें
बसपा का मेरठ से प्रत्याशी अभी तय नहीं, कई दिग्गज लाइन में, जल्द हो सकती है घोषणा
इंडिया में शामिल आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी सपा-कांग्रेस गठबंधन में शामिल नहीं हो पाई है। बसपा को जोड़ने का प्रयास फिलहाल सफल होता नजर नहीं आ रहा है, क्यूंकि मायावती (Mayawati) लगातार अकेले चुनाव लड़ने की बात दोहरा रही हैं। वहीं, अपना दल (कमेरावादी) सपा के साथ है और आजाद समाज पार्टी भी साथ आ सकती है।
2019 से 2024 के बीच पांच सालों की बात करें तो गठबंधन की सियासत में प्रदेश में बड़ा उतार-चढ़ाव आया है। बदले हालात में कौन गठबंधन प्रदेश के अलग- अलग इलाकों के जातीय जंजाल को भेद कर अपने प्रदर्शन में कितना सुधार कर पाता है, इसपर सबकी नजरें हैं। 2019 के चुनाव की बात करें तो भाजपा गठबंधन को 80 में 64, सपा-बसपा- रालोद गठबंधन को 15 और कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा था।
यह भी पढ़ें
धनंजय सिंह लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव 2024! सजा मिलने के बाद उठाया बड़ा कदम
एक न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक विश्लेषक प्रो. गोपाल प्रसाद कहते हैं कि यूपी के लिहाज से देखें तो भाजपा (वोट शेयर-49.98 प्रतिशत), सपा (18.11 प्रतिशत) और बसपा (19.43 प्रतिशत) जैसी पार्टियां तमाम लोकसभा सीटों पर लाख में वोट हासिल करती हैं। लेकिन कई सीटें 5-10-20-25 हजार वोटों से हार जाती हैं। सिर्फ अपने जातियों की राजनीति करने वाले छोटे दल चुनाव जीतने वाला आधार तो पैदा नहीं कर पाते। पर, ये पार्टियां 5 से 25 हजार और कई लोकसभा सीटों पर आबादी के हिसाब से 40-50 हजार वोट का आधार बनाने में सक्षम होती हैं।
अपना दल एस से कुर्मी आबादी- 7.46%
सुभासपा से राजभर आबादी- 2.44%
निषाद पार्टी से निषाद, बिंद, मल्लाह, धीवर, केवट आदि आबादी- 4.33%
राष्ट्रीय लोकदल से जाट आबादी- 3.60%
समाजवादी पार्टी से यादव आबादी- 19.40% (नोट- राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में बनी सामाजिक न्याय समिति के अनुसार हिंदू ओबीसी में मुख्य जातियों की आबादी । )