अभी तक 90 दिनों में लेना होता था फैसला राजस्व संहिता 2006 (Rajshwa Sanhita) के नियमों को अगर देखें तो लैंड यूज चेंज कराने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र पर एसडीएम कोर्ट को 90 दिनों में अपना फैसला देना होता है। अधिकतम 90 दिनों में एसडीएम को फैसला देना होता है कि ऐसा किया जा सकेगा या नहीं। अगर 90 दिन में एसडीएम फैसला नहीं लेते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना पड़ता है। अब सरकार इसी नियम में बदलाव करने जा रही है।
एसडीएम पर भी हो सकेगी कार्रवाई नया नियम लागू होने के बाद अब केवल 45 दिनों में ही एसडीएम (SDM) को यह फैसला लेना होगा कि लैंड यूज चेंज (Land Use Change Rules) करना है या नहीं। यानी पहले के मुकाबले ऐसे मामलों को आधे समय में निपटाना होगा। एसडीएम ऐसे मामलों को अब ज्यादा लटका नहीं सकेंगे, क्योंकि नये नियमों के तहत उनपर कार्रवाई का भी प्रावधान सरकार करने जा रही है। इसे 143 की कार्यवाही कहते रहे हैं। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में राजस्व विभाग के अफसरों की बैठक में कई फैसले लिये गए। लैंड यूज चेंज करने के अलावा बैठक में चकबन्दी (Chakbandi) और सरकारी जमीन पर पट्टा दिये जाने के नियमों में भी बड़े बदलाव करने पर कई फैसले हुए हैं।
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एक्सचेंज होगी सरकारी जमीन सरकार अब ग्राम समाज (Gram Samaj) की जमीन के एक्सचेंज के नये नियम भी बनाने वाली है। जैसे अगर किसी उद्योग के लिए तय जमीन के बीच में अगर कोई ग्राम समाज की जमीन आएगी तो सरकार उतनी जमीन उसी ग्राम सभा में कहीं और ले लेगी और वो जमीन उद्योग के लिए छोड़ देगी। इससे औद्यौगिक विकास में की एक बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी। इसके अलावा अगर उद्योग के लिए सरकार की तरफ से तय सीलिंग से ज्यादा जमीन कोई खरीद लेता है, तो उसे भी रेग्यूलर कर दिया जाएगा। नये नियमों के तहत जमीन ट्रांसजेंडर को भी ट्रांसफर हो सकेगी। नये नियमों के बन जाने के बाद सरकारी जमीन पर पट्टा दिये जाने में सबसे पहली प्राथमिकता दिव्यांगों और महिलाओं को दी जाएगी। जानकारी के मुताबिक इन सभी फैसलों पर सहमति बन चुकी है और अब सिर्फ इसे कानूनी जामा पहनाना बाकी है।