लखनऊ

La Nina effect:मानसून की विदाई में होगी देरी, अबकी जाड़ों में कहर ढाएगी सर्दी, वैज्ञानिक चिंतित

La Nina effect:‘ला नीना’ का असर इस मानसून में साफ दिखाई दे रहा है। ला नीना के कारण ही अबकी मानसून की विदाई में देरी हो रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ला नीना के प्रभाव से इस साल सर्दियों में जमकर बर्फबारी होगी, जिससे हाड़तोड़ ठंड पड़ेगी।

लखनऊSep 18, 2024 / 05:44 pm

Naveen Bhatt

ला नीना के प्रभाव के कारण इस बार मानसून की विदाई में रही हो रही है

La Nina effect:पूरा विश्व इस वक्त खतरनाक जलवायु परिवर्तन की चपेट में है। इसी के चलते सीजनल शिफ्टिंग का दौर भी चल रहा है। ये ही वजह है कि मानसून की बारिश की प्रवृति में भी लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में कम वायुदाब के कारण हिमालयन फुट हिल (हिमालय की तलहटी) पर वर्षा का दौर जारी है। ये सब ला नीना के असर के कारण हो रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बार राज्य में मानसून देरी से 29 सितंबर से चार अक्टूबर के बीच विदा होगा। ला नीना का असर के कारण अबकी जाड़ों में भारी से भारी बर्फबारी हो सकती है। इससे देश में ठंड का प्रभाव बढ़ेगा। लोग हाड़तोड़ ठंड से परेशान होंगे।

साइक्लोनिक प्रभाव से हुई भीषण बारिश

नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह के मुताबिक पिछले दिनों हुई भीषण बारिश साइक्लोनिक का प्रभाव था। डॉ. नरेंद्र के मुताबिक वर्तमान में हो रही बारिश बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर के कारण हो रही है। लो प्रेशर का असर सीधा हिमालय की तलहटी में पड़ता है। इसी के चलते देश के कई राज्यों में बारिश हो रही है।

जानें क्या है ला नीना

ला नीना का का तात्पर्य मध्य और पूर्व-मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में महासागर की सतह के तापमान के आवधिक शीतलन से है। अमूमन ला नीना घटनाएं हर 3 से 5 साल या उससे अधिक समय में होती हैं। कभी-कभी लगातार कई वर्षों में भी हो सकती हैं। ला नीना एल नीनो/दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र के ठंडे चरण का प्रतिनिधित्व करता है।

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