लखनऊ

पांच दिन में 500 किमी तक बुजुर्ग को कंधे पर लाद दिल्ली से पहुंचे लखनऊ, आईपीएस नवनीत शिकेरा ने ऐसे की सभी की मदद

लगवाग्रसित है 80 वर्षीय बुजुर्ग सालिगराम, पुलिस ने सभी को खाना खिलाकर भिजवाया घर…

लखनऊMar 29, 2020 / 02:53 pm

नितिन श्रीवास्तव

पांच दिन में 500 किमी तक बुजुर्ग को कंधे पर लाद दिल्ली से पहुंचे लखनऊ, आईपीएस नवनीत शिकेरा ने ऐसे की सभी की मदद

लखनऊ. देश में कोरोना वायरस के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। संक्रमित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा भी हो रहा है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने पूरे देश में लॉक डाउन घोषित किया है। ताकि जो जहां है वहीं सुरक्षित रहे। हालांकि उसके बाद भी चारों तरफ से ऐसी तस्वीरें लगातार सामने रही हैं जिनमें लोग अपने घरों की ओर वापसी करते दिख रहे हैं। दरअसल ये लोग लॉकडाउन में काम-काज बंद होने के चलते अफनी घर वापसी कर रहे हैं। इस बीच घर वापसी कर रहे एक ऐसे परिवार की तस्वीर सामने आई जिसने सभी को हैरान करके रख दिया। यह तस्वीर थी श्रावस्ती के 80 वर्षीय सालिगराम की। जिन्हें गांव के लोग कंधे पर लेकर निकले और पांच दिनों में करीब 500 किमी की दूरी तय कर लखनऊ पहुंचे। इनमें कुल 67 लोग थे। लखनऊ पहुंचने पर जब यहां आईपीएस नवनीत शिकेरा ने इन्हें देखा तो वह नि:शब्द थे। जानकारी पर पचा चला कि यह सभी लोग दिल्ली से आ रहे थे।
यह नजारा था लखनऊ के शहीद पथ का। शिकेरा ने इस सभी को बुजुर्ग सालिगराम को कंधे पर लादकर पैदल ले जाते देखा तो उनसे इसका कारण पूछा। जिसपर उस बुजुर्ग ने अपनी पीड़ा बयां की। उनके पास बोलने के लिए ज्यादा शब्द तो नहीं थे, लेकिन बुजुर्ग ने कुछ न कहकर भी पुलिसवालों की आंखे नम जरूर कर दीं थी। खैर इसके बाद पुलिस इनकी मददगार बनी। आईपीएस नवनीत सिकेरा इन सभी को पहले फल खिलाए फिर विभूतिखंड इंस्पेक्टर श्याम बाबू शुक्ला ने सभी के खाने का इंतजाम किया। पुलिसवालों का ऐसा बर्ताव देख बुजुर्ग की आंखें नम हो उठीं। इसके बाद पुलिस ने सभी 67 लोगों को बस से घर भिजवाया।
दरअसल आईपीएस नवनीत सिकेरा ऑफिस से शहीद पथ होते हुए अपने घर जा रहे थे। तभी उन्होंने समिट बिल्डिंग के पास कुछ लोगों को पैदल जाते देखा तो उनकी नजरें ठिठक गईं। उन्होंने देखा कि चार लोग बल्लियों में बंधे कपडे़ में बैठे बुजुर्ग को कंधे पर उठाए चल रहे थे। इस पर नवनीत शिकेरा ने कार से उतरे और बुजुर्ग को ले जा रहे लोगों से बात की। सिकेरा के पूछने पर पता चला कि बुजुर्ग का नाम सालिगराम है और वह श्रावस्ती के इकौना बाजार के रहने वाले हैं। उनके साथ गांव के युवक, महिलाएं और बच्चे मिलाकर 67 लोग थे और सभी एक ही गांव के रहने वाले हैं। यह सभी कई सालों से दिल्ली में मेहनत-मजदूरी कर रहे थे। लेकिन लॉकडाउन के चलते पांच दिन पहले सभी को दिल्ली छोड़ना पड़ा। कोई सोधन नहीं था तो पैदल ही घर चल दिए। एक ट्रकवाला किसी तरह सबको एक्सप्रेस-वे तक छोड़ गया। वहां से सभी फिर पैदल चल दिए। सालिगराम के शरीर के निचले हिस्से में लकवा हो गया था, इसलिए वह चल नहीं सकते।
गांव के जगराम, सुरेश कुमार, मुन्ना, रामू और कई लोगों ने दो बल्लियों के बीच चादर बांधकर झूला बनाया और उन्हें बैठा दिया। इसके बाद बल्लियों को बारी-बारी से कंधे पर लेकर आगे बढ़ते रहे। नवनीत सिकेरा ने बताया कि ग्रामीणों की मदद को विभूतिखंड इंस्पेक्टर को बुलाया। उनके आने तक कार में रखे फल सालिगराम और उन्हें कंधे पर लादकर ले जा रहे युवकों को खिलाए। विभूतिखंड इंस्पेक्टर के पहुंचने पर सबके लिए खाने का इंतजाम कराया। इसी दौरान उधर से गुजर रहे आईपीएस और एडीजी डायल 112 असीम अरुण भी भीड़ देखकर आ गए। सूचना पाकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे और पेड़ की छांव में ग्रामीणों के आराम की व्यवस्थाएं कीं। पुलिस ने तत्काल सभी को भोजन कराया। इसके अलावा एक रोजवेज बस से सभी ग्रामीणों को श्रावस्ती भिजवाया।
बसों से जिलों में पहुंचे सभी लोगों की होगी स्कैनिंग, जांच के बाद ही होगी एंट्री

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को स्पेशल बसों से भेजे गए यात्रियों की स्कैनिंग के निर्देश दिए हैं। बस से उतरने के बाद हर यात्री की थर्मल स्कैनिंग होगी। इसके साथ उनका नाम-पता भी दर्ज किया जाएगा। उन्होंने साफ निर्देश दिये कि बिना जांच किसी की भी जिले के अंदर इंट्री न हो। प्रत्येक व्यक्ति की थर्मल स्कैनिंग के बाद रिकॉर्ड भी बनाया जाए और 14 दिनों तक इनकी मॉनिटरिंग की जाए। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती जाएगी।
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