जब सब की सांस अटकी थी सिकंदराबाद किए गए परीक्षण में एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे और दूसरे में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी के त्रिपाठी मौजूद थे। एक ही ट्रेक पर दोनों ट्रेनें विपरीत दिशा से 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार आ रही थी। ट्रेन में सवार सभी लोगों की सांस अटकी हुई थी। पर जैसे ही दोनों ट्रेनों के बीच की दूरी 380 मीटर रही। दोनों ट्रेनें खुद ब खुद रुक गई। और सब राहत की सांस ली। और भारतीय रेलवे का एक शानदार परीक्षण सफल रहा। यह सब कुछ सिर्फ स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली कवच की वजह से संभव हो सका। इसके साथ ही दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर इसे लगाने की योजना है। जिसमें यूपी का काफी बड़ा एरिया कवर होगा।
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‘कवच’ की खासियतें जानें 1. कवच के कारण दोनों ट्रेन टकराएंगी नहीं।2. डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या मैन्युअल गलती पर ट्रेनें खुद ब खुद रुक जाएंगी।
3. टक्कर की आशंका 0 फीसदी है।
4. कवच दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली
5. 50 लाख रुपए प्रति किमी खर्च, अन्य देश में दो करोड़ रुपए किमी लागत
6. आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और खतरे का संकेत मिलने पर करती है काम।
7. कवच प्रणाली में उच्च आवृत्ति के रेडियो संचार का उपयोग
8. कवच एंटी कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है, यह रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर, ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम तकनीक पर आधारित
9. कवच है एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप
10. कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना
11. पहले चरण में 2,000 किमी रेल नेटवर्क पर होगा काम
12. सिकंदराबाद हुआ कवच का टेस्ट।