लखनऊ. Covid Recovery Rate.वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Corona Virus) की गति प्रदेश में मंद पड़ती नजर आ रही है। यूपी में रिकवरी रेट 92 फीसदी पहुंच गया है। हालांकि, यह राहत की बात है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। यूपी के कई गांव ऐसे हैं जहां पिछले एक-डेढ़ महीने में कोरोना से दर्जनों मौत हुई है। संसाधन के अभाव और आर्थिक तंगी के कारण सही इलाज न मिल पाने से कई लोगों ने कोरोना से जान गंवाई है। कोरोना की दूसरी लहर में एक अप्रैल से 20 मई तक के जारी आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के मामलों में 277 प्रतिशत की वृद्धि रही जबकि शहरी क्षेत्रों में यह महज 27 प्रतिशत थी। इसी तरह एक अप्रैल से 20 मई के बीच मृत्यु दर से ग्रामीण क्षेत्रों में 2817 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। उधर, मई माह के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 17 मई तक 8124 रैपिड रिस्पांस टीम ने 89,512 गांवों का दौरा किया। इस दौरान 1,80,018 हजार लोगों की जांच की गई। 28 हजार गांवों में कोविड संक्रमण पाया गया।
लखनऊ से सटे गांवों में हालत खराब लखनऊ से सटे गांवों में हालत खराब है। समेसी गांव में बीते डेढ़ महीने में 45 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से सबकी हालत खराब है। ज्यादातर परिवार बुखार की चपेट में हैं लेकिन जांच से लेकर इलाज तक पूरी सुविधा कहीं नहीं मिल रही। लखनऊ के ही तरह यूपी के शाहजहांपुर के गांवों में सन्नाटा पसरा रहता है। शाहजहांपुर के विराहिमपुर गांव में पिछले 15 दिनों में 20 लोगों की जान जा चुकी है। साफ सफाई की भी कोई खास व्यवस्था नहीं है।
13 दिन में 20 की मौत यूपी के हमीरपुर जिले के पाटनपुर गांव में 13 दिनों में करीब 20 लोगों की मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार गांव में अब तक सैनिटाइजेशन नहीं कराया गया है। प्रशासन की तरफ से कोई स्वास्थ्य टीम भी नहीं पहुंची है। इस वजह से गांव में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। तीन दर्जन लोग जुकाम और खांसी से पीड़ित हैं। कई लोग डर के मारे अपने घर में तालाबंदी कर दूसरे गांव या रिश्तेदार के घर चले गए हैं।
रायबरेली के गांव में 17 मौत रायबरेली के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में बीते एक महीने (11 मई तक) में 17 लोगों की मौत हो गई। इतनी मौतों के बाद प्रशासनिक अमला जागा और डोर टू डोर टेस्टिंग करने पहुंचा। जिन लोगों की मौत हुई, सभी में कोरोना जैसे लक्षण थे लेकिन बुखार, खांसी, सर्दी, सिरदर्द और सांस फूलना। 17 में से 15 का न तो कोविड टेस्ट हुआ था और न ही उन्हें अस्पताल लेकर जाया गया।