इस तरह से करें असली रेमडेसिविर की पहचान बाजार में धड़ल्ले से नकली रेमडेसिविर की कालाबाजारी हो रही है। रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी अस्पतालों में ये इंजेक्शन निशुल्क उपलब्ध कराने को कहा है। लेकिन तब भी कुछ कर्मचारी पैसा कमाने के चक्कर में इसे ब्लैक में बेचकर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। असली और नकली रेमडेसिविर के बीच लोग पहचान कर सकें और ठगी का शिकार न हों, इसके लिए नीचे बताई गई बातों के अनुसार ही दवा की खरीद करें।
– असली रेमडेसिविर 2021 में ही बनी है, जिसका माल अब आ रहा है। दवा खरीदने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट चेक कर लें। – रेमडेसिविर दवा की शीशी हल्कि होती है। अगर शीशी भारी है तो वह नकली है।
– यह दवा सिर्फ पाउडर में ही मिलता है और बॉक्स के पीछे बार कोड बने होते हैं। – इंजेक्शन की सभी बॉटल पर आरएक्सरेमडेसिविर (Rxremdesivir) लिखा रहता है। जबकि फर्जी रेमडेसिविर वाले पैकेट पर पूरे पते में स्पेलिंग की गलतियां हैं।
– नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर वार्निंग लेबल के ठीक नीचे मुख्य सूचना कोविफिर (Covifir) की सूचना नहीं दी गई है। – असली रेमडेसिविर की कीमत 4800 रुपये है जबकि नकली रेमडेसिविर 15 से 20 हजार के बीच बिक रही है।