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मरीज हुए नाराज , दवा के लिए भटकते रहे ओपीडी के साथ-साथ दवा काउंटर भी बंद होने से नाराज मरीज व तीमारदार भड़क गए। इधर, दवा न मिलने से नाराज छह से सात मरीज सीधे निदेशक से शिकायत करने उनके कार्यालय की ओर निकल गए। लेकिन यहां निदेशक नहीं मिले। जिससे मरीज व उनके तीमारदार निराश होकर वापस लौट गए। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों का कहना था कि कोई समक्ष अधिकारी मौजूद नहीं है। वैसे निदेशक रोजाना करीब 11 बजे आते हैं, लेकिन आज नहीं आये।
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बिगड़ी हालत में मरीज दौड़ते रहे पेट दर्द से पीड़ित हसनगंज की सुलेखा हाथ में दवा की पर्ची लेकर दवा काउंटरों पर भटक रही थी। सारे काउंटर बंद रहे। सुलेखा ने बताया कि यह बताने वाला कोई नहीं है कि आखिर दवा कहां मिलेगी।
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. बाजारखाला से पहुंचे अमित ने कहा कि सुबह से दौड़भाग करने के बाद भी अधूरा इलाज मिला रहा है। यहाँ पर कोई सुनने वाला नहीं है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक भी अपने कक्ष में नहीं क्योकि आज आए ही नहीं।जन औषधि केंद्र में नहीं मिल रही दवा सबसे खास बात यह है कि निदेशक कार्यालय से मायूस होकर लौटे मरीजों को, अस्पताल में खुले जन औषधि केन्द्र पर भी, दवा के पैसे देने के बावजूद नहीं मिली। केंद्र पर तैनात कर्मचारी का कहना था कि जितनी मांग भेजी जाती है, उस हिसाब से दवाओं की आपूर्ति नहीं हो रही है।
होली के बाद अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी होली के बाद से अस्पताल में मरीजों की भीड़ जुटने लगी। इनमें अधिकतर मरीज एलर्जी, सर्दी, जुकाम, खांसी तथा पेट दर्द और उल्टी की शिकायत वाले शामिल है। अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि रोजाना रोटेशन के अनुसार एक दवा काउंटर खुला रहता है। जिससे ओपीडी बंद होने के आधे घंटे तक जिन मरीजों को दवा नहीं मिली है, उन्हें दी जाए। सीएमएस का कहना है कि किसी मरीज ने दवा न मिलने की शिकायत नहीं की है। इस बात की जांच कराएंगे।