सही और गलत का निर्णय नहीं ले पाते उन्होंने कहा कि किशोर और किशोरियों में शारीरिक बदलाव समान तरीके से होते हैं, ऐसे में उनकी जिज्ञासाएं तरह-तरह की होती हैं। उनकी जिज्ञासाओं को शांत करना बहुत जरूरी होता है हालांकि आज सोशल मीडिया से वह जानकारी तो बहुत जुटा लेते हैं लेकिन सही और गलत का निर्णय लेने में वह अक्षम होते हैं। इसलिए उनको इसी उम्र में सही जानकारी मिल जाए तो वह देश के निर्माण में सहायक बन सकते हैं।
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महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. बृजेश राठौर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को घर-घर तक पहुचाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की बड़ी फ़ौज तैनात है लेकिन अभी शहरी क्षेत्र में ऐसा नहीं है। नगरीय स्वास्थ्य केन्द्रों के जरिये जरूर घर के करीब स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया करायी जा रहीं हैं। यह भी पढ़ें
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पीएसआई इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा ने कहा शहरी कमजोर वर्ग में प्रजनन और किशोर स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों बढ़ी हैं। इस दौरान परिवार कल्याण विभाग के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।