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घटना के मुताबिक जब महिला समझौते के बाद घर जाने के लिए बस अड्डे पर पहुंची, तो प्रमोद शर्मा चार अन्य साथियों के साथ वहां आ धमका। उसने महिला को गालियां देते हुए उसके साथ मारपीट की और उसके बाल पकड़कर सरेआम सड़क पर पटक दिया। महिला की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग वहां इकट्ठा हो गए, लेकिन तब तक आरोपित प्रमोद और उसके साथी महिला का पर्स और चेन छीनकर मौके से फरार हो चुके थे। यह भी पढ़ें
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महिला ने बताया कि प्रमोद ने पहले उसकी अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने की धमकी दी थी। जब महिला ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, तो प्रमोद ने उसे रोकने के लिए थाने में समझौता कर लिया। लेकिन यह समझौता महज एक छलावा था। पुलिस ने इस घटना के तुरंत बाद मामला दर्ज नहीं किया, और पांच महीने तक पीड़िता को न्याय का इंतजार करना पड़ा। आखिरकार, कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने प्रमोद शर्मा और चार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।पुलिस की ढिलाई पर उठे सवाल
इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं। पीड़िता का आरोप है कि थाने में उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया, जिसके कारण आरोपितों ने खुलेआम उसकी इज्जत के साथ खिलवाड़ किया। पांच महीने तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की, लेकिन जब कोर्ट ने आदेश दिया, तब जाकर मामला दर्ज हुआ। यह दर्शाता है कि महिला सुरक्षा और न्याय दिलाने के मामले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है। यह भी पढ़ें