ये भी पढ़ें- चुनाव के बाद सीएम योगी ने की पहली बड़ी कार्रवाई, इन बड़े अधिकारियों को तुरंत किया निलंबित आपको बता दें कि जिन विधानसभाओं में उपचुनाव होगा, उनमें 9 पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा हैं। एक पर उनके सहयोगी दल अपना दल (एस), वहीं एक-एक पर समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं। सांसद बनने के बाद इन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को अपना इस्तीफा भी सौंपना शुरू कर दिया है। इनमें भाजपा के एक विधायक मुकुट बिहारी वर्मा को छोड़कर बाकी सभी सांसद की उपाधि पा चुके हैं।
ये भी पढ़ें- राजनाथ सिंह के रक्षामंत्री बनने से लखनऊ में इस बड़े विवाद का हो सकता है समाधान सपा-बसपा की सीट पर भी भाजपा करना चाहेगी कब्जा- लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत का मजा दोगुना तभी होगी जब विधानसभा चुनाव में पार्टी विपक्षी दल सपा व बसपा के कब्जे वाली सीटों पर भी जीत दर्ज करेगी। ऐसा कर भाजपा यह भी साबित करना चाहेगी कि लोकसभा में उनकी जीत इत्तेफाक नहीं है। इन सीटों पर सपा की रामपुर सदर की सीट भी शामिल हैं, जहां से विधायक आजम खां अब सांसद हैं। वहीं अम्बेडकर नगर जिले से जलालपुर विधानसभा सीट पर बसपा के रितेश पांडे विधायक थे। सांसद बनने के बाद वह अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप चुके हैं। आगामी उपचुनाव में एक बार फिर मुमकिन है कि सपा-बसपा गठबंधन से ही प्रत्याशी उतारे जाएं। ऐसे में भाजपा किसी तरह का जोखिम उठाना नहीं चाहेगी और पार्टी प्रत्याशियों की जीत के लिए एढ़ी-चोटी का जोर लगाती दिखेगी।
ये भी पढ़ें- अखिलेश यादव ने शराबकांड को लेकर योगी सरकार पर किया बड़ा हमला उपचुनाव में भाजपा का नहीं रहा है अच्छा अनुभव- भाजपा के लिए उपचुनाव के नतीजे बहुत खुश करने वाले नहीं रहे हैं। 2014 में भी भाजपा ने 11 विधायकों को चुनाव लड़ाया गया था, वे सांसद बने लेकिन विधानसभा उपचुनाव की बात करें तो केवल लखनऊ, नोएडा और सहारनपुर जैसी तीन सीटों पर ही पार्टी अपना परचम लहरा पाई थी। 2019 चुनाव में भी सांसद बने विधायकों को उनकी विधानसभा सीटों पर वोट तो ज्यादा प्राप्त हुए हैं, लेकिन कुछ सीटों पर वे सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी को मिले वोटों से वे पीछे ही रहे हैं। इसको देखते हुए ही भाजपा ने वहां के सांसदों को जिम्मेदारी दी है कि वे सीटों का आंकलन करें और उपचुनाव में 60 फीसदी वोट का लक्ष्य हासिल करवाकर भाजपा की जीत सुनिश्चित करें।
ये भी पढ़ें- अखिलेश, मुलायम, शिवपाल आए एक ही मार्ग पर, यह है इनका नया पता इन सांसदों को मिलेगी जिम्मेदारी-
– प्रदीप कुमार- प्रदीप कैराना से सांसद बने हैं और इनपर यहां कि गंगोह विधानसभा सीट की जिम्मेदारी रहेगी।
– प्रदीप कुमार- प्रदीप कैराना से सांसद बने हैं और इनपर यहां कि गंगोह विधानसभा सीट की जिम्मेदारी रहेगी।
– आर.के.पटेल – पटेल बांदा से सांसद चुने गए हैं, लेकिन इससे पहले वे चित्रकूट के मानिकपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक थे। इन विधनसभा के लिए उन्हें दोबारा मेहनत करनी होगी। – उपेंद्र सिंह रावत – उपेंद्र ने बाराबंकी से सांसदी का चुनाव जीता है। लेकिन यहां की जैदपुर से विधायक रहने के नाते उनपर दोबारा भाजपा को जीत दिलाने का दारोमदार होगा।
– अक्षयवर लाल गोंड – बहराइच के सांसद चुने गए अक्षयवार को यहां की बलहा (सु.) क्षेत्र में भाजपा को उपचुनाव में जीत दिलानी है। – राजवीर सिंह दिलेर – दिलेर हाथरस के रास्ते संसद पहुंचे हैं और उपचुनाव के दौरान वे यहां के इगलास विधानसभा क्षेत्र में लोगों से संपर्क साधते देखे जाएंगे।
– संगम लाल गुप्ता – वे प्रतापगढ़ से भाजपा गठबंधन पार्टी अपना दल (एस) के सांसद हैं, लेकिन इस बार देखना होगा कि प्रतापगढ़ के विधानसभा क्षेत्र में भाजपा अनप्रिया पटेल की पार्टी को टिकट देती है या अपनी ही पार्टी से किसी को मैदान में उतारती है।
– रीता बहुगुणा जोशी- इलाहाबाद से सांसद बनी रीता बहुगुणा जोशी पर भी अपने लखनऊ कैंट क्षेत्र में सक्रिय रहकर उपचुनाव में पार्टी की जीत को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रहेगी। – सत्यदेव पचौरी- कानपुर की गोविंदनगर विधानसभा सीट पर भाजपा को जीत दिलाने की जिम्मेदारी कानपुर से सांसद चुने गए सत्यदेव पर होगी।
– एसपी सिंह बघेल- आगरा से सांसद बने एसपी सिंह बघेल भी जल्द ही फिरोजाबाद की टुंडला विधानसभा सीट के लिए मेहनत करते दिख सकते हैं। सपा-बसपा की यह हैं सीटें- – रामपुर सदर विधानसभा सीट- सपा से सांसद आजम खान यहां से विधायक थे।
– अंबेडकर नगर जलालपुर विधानसभा सीट- बसपा से से रितेश पांडे यहां से विधायक थे।