वाराणसी में जून में गंगा नदी के पार रेत में खनन का काम पूरा हुआ था। तब यहां साढ़े पांच किमी लंबे, 45 मीटर चौड़े व छह मीटर गहरे बाईपास चैनल के बनने पर आपत्ति जताई गई थी। सामाजिक संगठनों ने इससे गंगा की धारा कमजोर पड़ने की आशंका जताई थी। शहर के लोग पीने के पानी के लिए गंगा और भूमिगत जल पर निर्भर हैं। बाईपास चैनल बनने से पीने के पानी पर दुष्प्रभाव पड़ने का डर था जो कि अब सच साबित हो रहा है।
नहर बनाने का निर्णय था गलत गंगा में बाढ़ आने से प्रशासन की पोल खुल गई है। बाईपास चैनल से गंगा को दो भागों में बांटकर ड्रेजिंग कर रामनगर से राजघाट तक ले जाया गया है। इससे बाढ़ का पानी पूरे शहर में फैलने का डर है। महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र के चेयरमैन और पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी का मानना है कि गंगा में ड्रेजिंग कर नहर बनाना सही निर्णय नहीं था क्योंकि गंगा में जब बाढ़ आती है तो वह अपने साथ बालू और मिट्टी बहा लाती है। घाटों की ओर मिट्टी छोड़ने वाली गंगा दाहिनी ओर रेत छोड़ती हैं। जब बाढ़ का पानी कम होने लगेगा तो इसके दुष्परिणाम भी भुगतने होंगे क्योंकि चैनल से गंगा की धारा कमजोर होगी। उधर, वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि ड्रेजिंग से निकली बालू को टेंडर कराकर हटाया जा रहा था। पानी बढ़ने से थोड़ी बालू बची रह गई, अधिकतर रेत हटा ली गई है। घाटों को संरक्षित करने के लिए ही चैनल बनाया है।
क्यों बना चैनल गंगा के प्रवाह को संतुलित करने के लिए बाईपास चैनल विकसित किया था ताकि पानी से घाटों पर कटाव की स्थिति को रोका जा सके। यह सिंचाई विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण के बाद किया गया था। बाईपास चैनल 45 मीटर चौड़ा और 6 मीटर गहरा है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया कि पांच किलोमीटर से अधिक लंबे खंड में नदी के पानी का 25 प्रतिशत पानी का बहाव हो सके। चैनल बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया था इससे घाटों पर दबाव कम हो। परियोजना पर काम मार्च में शुरू हुआ था और जून में पूरा हुआ था।
हर घंटे एक सेंटीमीटर बढ़ रही गंगा गंगा के पानी में एक सेंटीमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से बढ़ाव हो रहा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72.12 मीटर तक पहुंच गया है और अभी भी इसमें एक सेंटीमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से बढ़ोतरी जारी है। गंगा किनारे के घाट पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। ऐसे में किसी संभावित हादसे को रोकने के लिए पुलिस, एनडीआरएफ के साथ आईटीबीपी के जवानों की भी तैनाती की गई है।
टूटा टिकरी बांध बाढ़ से लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण टिकरी गांव में 2013 में बना पांच फीट ऊंचा और चार फीट चौड़ा बांध टूटकर बहने लगा है। पलट प्रवाह से संकट मोचन मंदिर के पास पानी चला गया है। गंगा- अस्सी के संगम स्थल पर बने रविदास पार्क की सबसे ऊपरी सीढ़ी तक पानी पहुंच गया है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में नाव चल रही है। नाव से ही मंदिर की छत पर दाह संस्कार के लिए शव ले जा रहे हैं।
आवागमन प्रतिबंध सामनेघाट से नगवा चुंगी मार्ग पर पानी बढ़ने से आवागमन प्रतिबंध है। सैकड़ों परिवार पशुओं को लेकर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। वरुणा किराने बसे हजारों घर पानी में डूब गए हैं। लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है।