AKTU VC Academic Corruption : एकेटीयू के वीसी की छिन सकती है नौकरी, राज्यपाल के फैसले पर भी उठे सवाल
AKTU VC VK Pathak Academic Fraud : अब राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। सपा और कांग्रेस ने साहित्यक चोरी के आरोपी कुलपति को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है।
पाठक का अकादमिक भ्रष्टाचार: एकेटीयू के वीसी की छिनेगी नौकरी, राज्यपाल के फैसले पर भी उठे सवाल
लखनऊ. तकनीकी शिक्षा के लिए मशहूर उप्र के अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के कुलपति विनय कुमार पाठक पर चोरी का शोधपत्र लगाकर नौकरी हासिल का आरोप लगा है। ऐसे में उनकी नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हाल ही में राज्यपाल राम नाइक ने पाठक को दोबारा एकेटीयू का कुलपति नियुक्ति किया है। अब राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। सपा और कांग्रेस ने साहित्यक चोरी के आरोपी कुलपति को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। साथ ही राज्यपाल की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है। वहीं कांग्रेस के एमएलसी दीपक सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिख कर कहा कि ऐसे आदमी की क्यों नियुक्ति किया।
राज्यसभा में उठा मामला
शुक्रवार को राज्यसभा में प्रो. पाठक की साहित्यक चोरी का मामला उठा। मानव संसाधन मंत्रालय में राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) के सामने पिछले तीन सालों में साहित्यिक चोरी और पीएचडी के लिए फर्जी थीसिस लिखने के तीन मामले सामने आए हैं। इसमें दो वाइस चांसलर शामिल हैं। इस मामले में पुडुचेरी यूनिवर्सिटी के वाइस चांससलर चंद्र कृष्णामूर्ति को जुलाई 2016 में बर्खास्त कर दिया गया जबकि डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के वीसी विनय कुमार पाठक अभी अपने पद पर बने हुए हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गयी है। इसके अलावा काशी विद्यापीठ के रीडर अनिल कुमार उपाध्याय भी साहित्यक चोरी के दोषी पाए गए हैं। केंद्र सरकार ने इनके खिलाफ यूनिवर्सिटी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
यह है यूजीसी का नियम
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) ने पीएचडी में थीसिस की साहित्यिक चोरी पर लगाम लगाने के लिए नए रेग्युलेशंस को हाल ही में नोटिफाई किया है। मार्च 2018 में इस रेग्युलेशंस को मंजूरी दी गयी थी। इस रेग्युलेशंस में थीसिस चोरी को विभिन्न स्तरों में बांटा गया है। उसके हिसाब से दंड का प्रावधान है। थीसिस चोरी का दोषी पाए जाने पर प्रोफेसर को अपनी नौकरी और छात्रों को रजिस्ट्रेशन से हाथ धोना पड़ेगा। साहित्यिक चोरी को चार स्तरों लेवल 0, लेवल 1, लेवल 2 और लेवल 3 में बांटा गया है। यदि किसी शिक्षक के पास किसी रिसर्च वर्क में साहित्यिक चोरी का पर्याप्त साक्ष्य हैं तो उस पर तुरंत कार्रवाई होगी। यूजीसी के नए नियम के मुताबिक प्रो. पाठक पर जल्द ही गाज गिर सकती है।
सत्ता पक्ष का मिलता रहा है लाभ
ेगौरतलब है कि प्रो. पाठक को 4 अगस्त 2015 को एकेटीयू का वीसी बनाया गया था। इनका कार्यकाल तीन अगस्त 2018 को समाप्त हो रहा था। इसके बाद राज्यपाल ने इन्हें एक बार फिर से वीसी की जिम्मेदारी सौंप दी। बताया जाता है पाठक की केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं से नजदीकियां हैं। इसलिए इन्हें न केवल दोबारा कार्य विस्तार दिया गया है। बल्कि इनके खिलाफ मानव संसाधन मंत्रालय में चल रही जांच में भी ढील दी गयी।
विवादों से रहा है नाता
एकेटीयू वीसी के पद पर रहते हुए प्रो. विनय कुमार पाठक पर भवन निर्माण में कमीशन सहित कर्मचारियों के विनियमतीकरण जैसे कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में एक याचिका भी दाखिल हुई। जिसमें कहा गया कि पाठक ने फर्जी अनुभव दर्शा कर वीसी के पद को हासिल किया। इन पर सिर्फ शीर्षक को छोडकऱ शोध को शत प्रतिशत चोरी करने का भी आरोप है।
इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
आरोप है कि साल 2013 में वीसी प्रो. पाठक ने लेखक रोहित कटियार और केवी आर्या के साथ एक शोधपत्र ‘अ स्टडी ऑन एग्जिस्टिंग गैट बायोमीट्रिक्स अप्रोच्स ऐंड चैलेंजेस’ को इंटरनैशनल जर्नल आफ कंप्यूटर साइंसेज में प्रकाशित करवाया। इसमें छपा कंटेंट साल 2005 में आईईईई सिग्नल प्रोसेसिंग मैगजीन में प्रकाशित शोध पत्र ‘गैट रिकॉग्निशन आ चैलेंजिंग सिग्नल प्रोसेसिंग टेक्नॉलजी फॉर बायोमीट्रिक आईडेंटिफिकेशन’ से हूबहू मेल खाता है।
विधायक भी लगा चुके हैं आरोप
कुलपति पाठक पर महोली, सीतापुर के भाजपा विधायक शशांक त्रिवेदी ने गंभीर अनियमितता के आरोप लगाए थे। तब विधायक का पत्र वायरल भी हुआ था जबकि लखनऊ के नवाजगंज, ठाकुरगंज निवासी विराट सिंह ने प्रो. पाठक के शोध पत्र में साहित्यिक चोरी का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत मानव संसाधन विकास मंत्रालय व एआईसीटीई से की थी। यूजीसी के पूर्व सदस्य धर्मेद्र यादव ने भी प्रो. पाठक द्वारा 2010 में तैयार शोध पत्र में साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया था।
वीसी ने कहा, छवि खराब करने की कोशिश
एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक का इस मामले में कहना है कि एक साजिश के तहत छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह कोई भी किसी की भी शिकायत कर सकता है। सभी आरोप निराधार हैं। उनका कहना है कि मैंने वह रिसर्च पेपर लिखा ही नहीं है, जिसके बारे में बात की जा रही है।
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