लखनऊ

पिघल रही है चाचा-भतीजे के रिश्तों पर जमीं बर्फ, मुलायम लाएंगे सुलह का अंतिम फॉर्मूला

– मुलायम सिंह यादव की बीमारी ने अखिलेश और शिवपाल के बीच दूरी की कम- अखिलेश-शिवपाल में कम होगी खटास, शिवपाल ने ट्वीट कर बताया मुलायम का हाल- समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया में एकता की उम्मीदें बढ़ीं- वर्चस्व की जंग को लेकर 2017 में चाचा-भतीजे के बीच शुरू हुआ था विवाद

लखनऊMay 11, 2020 / 04:29 pm

Hariom Dwivedi

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चाचा-भतीजे के बीच सुलह का अंतिम फॉर्मूला मुलायम सिंह ही निकालेंगे, जिनकी बात शायद ही अब अखिलेश और शिवपाल यादव टालें।

लखनऊ. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को 24 घंटे में दूसरी बार लखनऊ के मेदांता अस्पताल में एडमिट होना पड़ा। हालांकि, राहत की बात यह है कि वह अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंच चुके हैं। इस बीच पूरा परिवार मुलायम की देखभाल में जुटा रहा। खासकर हर पल शिवपाल सिंह यादव की मौजूदगी ने परिवार के एकजुट होने का अहसास कराया। इससे पहले आठ मई को शिवपाल यादव ने ट्वीट करते हुए कहा था कि पिछले 2-3 दिनों से बहुत से शुभचिंतक हम सभी की प्रेरणा व ऊर्जा के स्त्रोत नेता जी की सेहत को लेकर परेशान थे। ईश्वर की अनुकम्पा से व स्वस्थ हैं और स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि नेता जी दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें और देश व समाज को दिशा दें।
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यादव परिवार में मचे घमासान के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में सुलह की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं। बीते दिनों सैफई में चाचा-भतीजे ने रार खत्म होने का संदेश दिया था। शिवपाल यादव ने कहा कि उनकी तरफ से सुलह की पूरी गुंजाइश है। बयान के बाद अखिलेश यादव ने भी कहा कि अगर वह आते हैं तो उन्हें पार्टी में उनका स्वागत है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सपा में सम्मानजनक पद और पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय हो सकता है। हालांकि, शिवपाल सार्वजनिक तौर पर गठबंधन की बात कहते हैं। इसके चलते मामला गठबंधन और विलय पर अटक गया। विश्लेषकों का कहना है कि इसका अंतिम फॉर्मूला मुलायम सिंह ही निकालेंगे, जिनकी बात शायद ही अब अखिलेश और शिवपाल यादव टालें।
पिघल रही है रिश्तों पर जमी बर्फ
नाम न छापने की शर्त पर समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चाचा-भतीजे के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ काफी हद तक पिघल चुकी है। मुलायम सिंह यादव भी चाहते हैं कि पुरानी कड़वाहटों को भूलकर अखिलेश और शिवपाल मिलकर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मजबूत करने का काम करें। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो होली के अवसर पर इसकी शुरुआत हो चुकी है, जब सैफई में पूरा मुलायम कुनबा एक मंच पर जुटा था। इस दौरान अखिलेश ने चाचा के पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया था और ग्रुप फोटो भी हुए थे। हाल ही में अखिलेश के कहने पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविद चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर जसवंतनगर से विधायक शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म करने की याचिका वापस ले ली है। याचिका में सपा ने दलबदल कानून के तहत शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म करने की अपील की थी।
https://twitter.com/shivpalsinghyad/status/1258743165932142592?ref_src=twsrc%5Etfw
चाचा-भतीजे के बीच ऐसे शुरू हुआ था विवाद
2017 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री, मुलायम सपा अध्यक्ष और शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। अखिलेश ने मुलायम को बिना बताये उनके दो करीबी मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राजकिशोर सिंह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। आनन-फानन में शिवपाल के करीबी माने जाने वाले तत्कालीन मुख्य सचिव दीपक सिंघल को भी हटा दिया। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय के भी फैसले को रद्द कर दिया, जिसके बाद चाचा-भतीजे के बीच वर्चस्व की जंग शुरू हो गई। नाटकीय घटनाक्रम में चाचा प्रोफेसर रामगोपाल यादव के साथ मिलकर अखिलेश ने तख्ता पलट करते हुए खुद को सपा अध्यक्ष घोषित कर दिया और मुलायम को पार्टी का राष्ट्रीय संरक्षक बना दिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने मर्जी से टिकट बांटे। इटावा के जसवंतनगर से शिवपाल विधायकी जीते, लेकिन सपा को सत्ता गंवानी पड़ी। थोड़े ही दिनों बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन कर लिया। 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों दलों ने अलग-अलग लड़ा और दोनों को ही मुंह की खानी पड़ी। अब फिर से चाचा-भतीजे में एका की अटकलें शुरू हो गई हैं।
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