न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। राज्य सरकार और कई अभ्यर्थियों ने 19 विशेष अपील की थी। कुछ अपीलों में एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।
वर्ष 2016 में शुरू हुई इस भर्ती में 75 में से 24 जिलों में एक भी पद खाली नहीं था। इन शून्य खाली पदों वाले जिलों के अभ्यर्थियों को किसी अन्य जिले में आवेदन करने की छूट दी गई थी। मार्च 2017 में पहली काउंसिलिंग हुई, लेकिन उसी समय प्रदेश में सरकार बदल जाने के बाद नई सरकार ने 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी थी। इस पर कुछ अभ्यर्थी कोर्ट चले गए।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक नवंबर 2018 को भर्ती पर रोक वाले राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद सरकार ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी। सभी अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग भी कराई गई। 51 जिलों के 6470 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए गए, लेकिन बाकी चयनितों की नियुक्ति नहीं हो पाई। इनमें से कुछ अभ्यर्थियों व राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए 19 अपीलें दाखिल की थीं। अब हाईकोर्ट के फैसले व आदेश के बाद शून्य खाली पदों वाले जिले के चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।