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Mothers Day 2023: क्या आप अपने आप को इम्पर्फेक्ट माँ कहती हैं ? जानिए कैसे बचें इस ‘मॉम गिल्ट’ से

Mothers Day 2023: अक्सर देखा गया है की किसी मॉम को ‘गिल्ट ट्रिप’ पर ले जाना समाज के साथ- साथ उसके परिवार, बच्चों और खुद उस माँ का स्वभाव होता है। ऐसी कुछ ही मॉम्स होतीं है जो अपनी परवरिश पर नाज़ करतीं है, ज़्यादातर मदर्स तो हर समय खुद को गिल्ट राइड पर ही रखतीं है। क्यों एक माँ को ऐसा करने से बचना चाहिए और कैसे ‘मॉम गिल्ट’ से दूरी बनानी चाहिए जानिए इस आर्टिकल में।

May 11, 2023 / 08:36 am

Namita Kalla

Break Free from Mom Guilt: Steps to Embrace Self-Compassion and Joy for a Happy, Healthy Motherhood

Mothers Day 2023, Overcoming Mom Guilt: जाने कितनी बार आपने अपने आप को एक बुरी माँ या इम्परफेक्ट माँ कहा है। यह जानते हुए भी कि परफेक्शन एक ब्रह्म है। क्या आप उन मदर्स में से हैं जिनका हर रात सोने से पहले मॉम गिल्ट जाग जाता है? क्या आप रात को बिस्तर पर लेटकर अपने दिन को आंकते हुए खुद से कहते हैं कि ‘मैंने अपने बच्चे के साथ अच्छा नहीं किया। ‘ या ‘उसे नाराज़ कर दिया।’ या फिर ‘मैं बुरी माँ हूं।’ यदि आप अपने आप से इसी तरह से बात करती है तो जान लीजिए के ‘परफेक्ट मॉम’ होना एक बोझ है जो समाज ने महिलाओं को दिया है। ऐसा बोझ जिससे एक माँ हर वक्त गिल्ट के गोते लगाती रहे। एक मॉम होना खूबसूरत एहसास के साथ चुनौतीपूर्ण भी है। इस सफर को खुशहाल बनाना है तो हर माँ को अपने इम्पेर्फेक्शन को अपना कर ‘मॉम गिल्ट’ से दूरी बनानी होगी। इस बात को स्वीकारना होगा की आप अपना बेस्ट दे रहीं हैं। आज इस आर्टिकल में जानते हैं कैसे घुटन भरे शब्द ‘मॉम गिल्ट’ को हमेशा के लिए खत्म करें और चेन की सांस लें।


Childrens expectations vs your expectation
: एक माँ होने के नाते हम हमेशा सोचते हैं की क्या हम अपने बच्चों को ख़ुशी दे रहे हैं ? हम ऐसा क्या करें जिससे वो खुश हों। ऐसा इसलिए भी है क्योंकी समाज ने ममता के नाम पर हम पर माँ से अवास्तविक एक्सपेक्टेशन जोड़ रखे हैं। इसी तरह की उमीदें बच्चे भी माँ से लगा बैठते हैं। जिन्हे पूरा ना कर पाने पर समाज से साथ- साथ बच्चे भी माँ को गिल्ट ट्रिप पर ले जाने से नहीं चूकते। ऐसे में हर मॉम को लोगों और बच्चों की उम्मीदों की बजाय खुद को अपने आप से क्या अपेक्षाएं हैं यह सोचना चाहिए।हर माँ को बच्चों की देखभाल और परवरिश में अपना बेस्ट देने का प्रयास करना चाहिए। साथ में इस बात को भी स्वीकारना चाहिए की आप भी एक इंसान हैं और आपसे भी गलतियां होंगी लेकिन आप उन गलतियों से सीखेंगी और आगे बढ़ेंगी।


Love thyself: ‘है तुझे भी इजाजत, कर ले खुद से मोहोब्बत।’ अपने खुद के लिए कुछ करने पर पछतायें नहीं। आप अपने आप को प्रायोरिटी बना सकती हैं। अपने प्रति उतना ही प्यार और दया भाव रखें जितना आप औरों के प्रति रखती हैं। कौन कहता है माँ अपनी पसंद का काम नहीं कर सकती, अपना फेवरेट खाना नहीं बना सकती, अपने लिए नहीं जी सकती। एक माँ बच्चों की देखभाल के साथ- साथ यह सब भी जरूर कर सकती है। ऐसा करने पर उसे कोई गिल्ट नहीं होना चाहिए।

Boundries: जी हाँ। माँ और बच्चों के बीच प्यार की कोई हद नहीं होती है लेकिन उनके बीच व्यवहारिक बॉउंड्रीज़ होना आवश्यक है। माँ को अपनी टाइम, एनर्जी, इमोशनल, मेन्टल, फिजिकल और साइकोलॉजिकल क्षमता के अनुसार बाउंड्री सेट करनी चाहिए। बच्चे आपसे जो मांगे आपको उन्हें देना ही है, ऐसा नहीं है। आप बच्चों को कब, कितना और कैसे देंगे, चाहे वो आपका समय हो, उनकी पसंद का खाना हो या फिर उनकी आये दिन नयी जरूरतें हो, यह आप अपने विवेक से निश्चित करें। उन्हें अपने प्यार से वंचित ना रखें पर प्यार के नाम पर उनकी हर मांग को पूरा करना सही नहीं है। बच्चों से प्यार करें, लेकिन उन्हें खुद पर भार न बनने दें।

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Defeat negativity:
पेरेंटिंग एक चैलेंजिंग जॉब है जिसमें कोई रूल्स नहीं है, पेरेंट्स, खासकर मदर्स, को खुद यह रूल बुक तैयार करनी होती है। साथ ही समय- समय पर इसे अपडेट करते हुए नए रूल्स ऐड करने या पुराने रूल्स में बदलाव लाने पड़ते हैं। इसलिए यह सोचने की बजाय के क्या आप एक बुरी माँ हैं, यह सोचें की एक माँ के तौर पर आपने क्या अच्छा किया, और आप खुद को कैसे बेहतर बना सकते हैं। नेगेटिव विचारों से बचें, इनसे गिल्ट के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। पॉजिटिव विचार अपनाने से आप खुद को और बच्चों से आपके रिश्ते को खूबसूरत अंजाम दे पाएंगी।

Say no to comparison: कई बार हमने देखा है की लोग, अक्सर परिवार के सदस्य, एक माँ को दूसरी माँ से कम्पेयर करते हैं। एक की तारीफ और दूसरे की बुराई करते हैं। ऐसा करते हुए वे एक माँ को गिल्ट ट्रिप पर ले जाते हैं। यह देखकर बच्चे भी इस ‘गिल्ट गेम’ में परिवार के साथ हो जाते हैं। लेकिन यह हमें समझना होगा की हर मां अलग होती हैं, उनकी परवरिश का तरीका अलग होता है। कुछ सही गलत नहीं होता। अपने एक्सपीरियंस और आस- पास के माहौल के हिसाब से सभी अलग- अलग तरीके अपनाते हैं। इसलिए एक माँ को अपनी तुलना किसी दूसरी माँ से न करनी चाहिए ना ही किसी को करने देना चाहिए।

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