Childrens expectations vs your expectation: एक माँ होने के नाते हम हमेशा सोचते हैं की क्या हम अपने बच्चों को ख़ुशी दे रहे हैं ? हम ऐसा क्या करें जिससे वो खुश हों। ऐसा इसलिए भी है क्योंकी समाज ने ममता के नाम पर हम पर माँ से अवास्तविक एक्सपेक्टेशन जोड़ रखे हैं। इसी तरह की उमीदें बच्चे भी माँ से लगा बैठते हैं। जिन्हे पूरा ना कर पाने पर समाज से साथ- साथ बच्चे भी माँ को गिल्ट ट्रिप पर ले जाने से नहीं चूकते। ऐसे में हर मॉम को लोगों और बच्चों की उम्मीदों की बजाय खुद को अपने आप से क्या अपेक्षाएं हैं यह सोचना चाहिए।हर माँ को बच्चों की देखभाल और परवरिश में अपना बेस्ट देने का प्रयास करना चाहिए। साथ में इस बात को भी स्वीकारना चाहिए की आप भी एक इंसान हैं और आपसे भी गलतियां होंगी लेकिन आप उन गलतियों से सीखेंगी और आगे बढ़ेंगी।
Love thyself: ‘है तुझे भी इजाजत, कर ले खुद से मोहोब्बत।’ अपने खुद के लिए कुछ करने पर पछतायें नहीं। आप अपने आप को प्रायोरिटी बना सकती हैं। अपने प्रति उतना ही प्यार और दया भाव रखें जितना आप औरों के प्रति रखती हैं। कौन कहता है माँ अपनी पसंद का काम नहीं कर सकती, अपना फेवरेट खाना नहीं बना सकती, अपने लिए नहीं जी सकती। एक माँ बच्चों की देखभाल के साथ- साथ यह सब भी जरूर कर सकती है। ऐसा करने पर उसे कोई गिल्ट नहीं होना चाहिए।
Boundries: जी हाँ। माँ और बच्चों के बीच प्यार की कोई हद नहीं होती है लेकिन उनके बीच व्यवहारिक बॉउंड्रीज़ होना आवश्यक है। माँ को अपनी टाइम, एनर्जी, इमोशनल, मेन्टल, फिजिकल और साइकोलॉजिकल क्षमता के अनुसार बाउंड्री सेट करनी चाहिए। बच्चे आपसे जो मांगे आपको उन्हें देना ही है, ऐसा नहीं है। आप बच्चों को कब, कितना और कैसे देंगे, चाहे वो आपका समय हो, उनकी पसंद का खाना हो या फिर उनकी आये दिन नयी जरूरतें हो, यह आप अपने विवेक से निश्चित करें। उन्हें अपने प्यार से वंचित ना रखें पर प्यार के नाम पर उनकी हर मांग को पूरा करना सही नहीं है। बच्चों से प्यार करें, लेकिन उन्हें खुद पर भार न बनने दें।
Defeat negativity: पेरेंटिंग एक चैलेंजिंग जॉब है जिसमें कोई रूल्स नहीं है, पेरेंट्स, खासकर मदर्स, को खुद यह रूल बुक तैयार करनी होती है। साथ ही समय- समय पर इसे अपडेट करते हुए नए रूल्स ऐड करने या पुराने रूल्स में बदलाव लाने पड़ते हैं। इसलिए यह सोचने की बजाय के क्या आप एक बुरी माँ हैं, यह सोचें की एक माँ के तौर पर आपने क्या अच्छा किया, और आप खुद को कैसे बेहतर बना सकते हैं। नेगेटिव विचारों से बचें, इनसे गिल्ट के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। पॉजिटिव विचार अपनाने से आप खुद को और बच्चों से आपके रिश्ते को खूबसूरत अंजाम दे पाएंगी।
Say no to comparison: कई बार हमने देखा है की लोग, अक्सर परिवार के सदस्य, एक माँ को दूसरी माँ से कम्पेयर करते हैं। एक की तारीफ और दूसरे की बुराई करते हैं। ऐसा करते हुए वे एक माँ को गिल्ट ट्रिप पर ले जाते हैं। यह देखकर बच्चे भी इस ‘गिल्ट गेम’ में परिवार के साथ हो जाते हैं। लेकिन यह हमें समझना होगा की हर मां अलग होती हैं, उनकी परवरिश का तरीका अलग होता है। कुछ सही गलत नहीं होता। अपने एक्सपीरियंस और आस- पास के माहौल के हिसाब से सभी अलग- अलग तरीके अपनाते हैं। इसलिए एक माँ को अपनी तुलना किसी दूसरी माँ से न करनी चाहिए ना ही किसी को करने देना चाहिए।