कैसे होता है हैडगियर से खाना
इसमें डाइनर्स को हैडगियर्स देकर अंधेरे कमरे में घूमने वाली टेबल पर बिठाते हैं। डाइनर्स अपनी उंगलियों को खाने के बर्तनों में लगे सेंसर पर ले जाते हैं। हैडगियर से देखने पर हाथ किसी रोबोट के जैसे दिखते हैं आभास देते हैं कि आप उनका इस्तेमाल कर खाना खा रहे हैं। बर्तन और विभिन्न डिश उड़ते हुए नजर आते हैं।
बदलाव है इसकी थीम
इस प्रोग्राम की कोई खास थीम नहीं है। लेकिन यहां के शेफ इसे भविष्य के लिए हमारे आज के खाने-पीने के विकल्पों में बदलाव के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। प्रयोग इस बात से भी प्रेरित है कि तकनीक ने हमसे मौसम के अनुसार खाने की आदत को छीन लिया है। स्पेन, कोपेनहेगन और वाशिंगटन में ऐसे रेस्तरां भी हैं जो विज्ञान और वर्चुअल रियलिटी के जरिए मौलीक्यूलर गैस्ट्रोनॉमी फोम, लिक्विड-नाइट्रोजन से बनाए पाचन योग्य डिश भी परोस रहे हैं। इसमें नाइट विजन तकनीक, ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीक से बने ड्रिंक्स भी शामिल हैं जिसकी इंद्रधनुषी आभा को मोबाइल ऐप से देख सकते हैं।
ऐसे खिलाते हैं खाना
टेबल पर बैठने के बाद डाइनर्स अपनी उंगलियों को वहां रखे खाने के बर्तनों में लगे सेंसर पर ले जाते हैं और अपनी गर्दन को पीछे टिकाते हैं और सात अलग-अलग तरह की डिश जिन्हें एक बार में खाना होता है, पेश की जाती हैं। यहां यह नहीं बताया जाता कि ये सात तरह के खाने कौन-से होंगे। आपके हाथ हैडगियर से देखने पर किसी रोबोट के जैसे दिखते हैं आभास देते हैं कि आप उनका इस्तेमाल कर खाना खा रहे हैं। नीचे देखने पर शरीर का नीचे का हिस्सा गायब हो जाता है। प्लेटें और चम्मच सिर के चारों ओर उड़ते हुए नजर आते हैं लेकिन जैसे ही उन्हें छूने की कोशिश करते हैं वे गायब हो जाते हैं।