बायोमेट्रिक्स का अध्ययन करने वाले कंप्यूटर विज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले सालों में इस तरह के फीचर्स की बाढ़-सी आ जाएगी। स्मार्टफोन वॉयस कमांड,दिल की धड़कन को पहचानकर काम करेंगे। यहां तक कि ऐसे डिवाइस भी उपलब्ध होंगे जो बता सकते हैं कि आप किस तरह से चलते हैं। लेकिन ये एक्सपट्र्स अभी दोषपूर्ण फिंगरप्रिंट या फेस-डिटेक्शन टूल के जरिए हमारे स्मार्टफोन में सेंध लगाने वाले ‘साइबर चोरों’ को लेकर चिंतित हैं। विशेषज्ञों को डर है कि स्मार्टफोन के इन सुरचा फीचर्स का उपयोग कर डेटा चोरी किया जा सकता है। दरअसल, उपयोगकर्ता को यह जानकारी ही नहीं है कि उसकी बायोमेट्रिक जानकारी कहां जाती है और इसे कौन संचालित कर रहा है।
हाल ही कुछ बड़े समार्टफोन निर्माता कंपनियों के हाई-प्रोफाइल मामलों में देखा गया कि बायोमेट्रिक स्कैनर को चकमा देना आसान है। गूगल ने भी स्वीकार किया है कि उसका नए पिक्सल-4 स्मार्टफोन का फेस-डिटेक्शन फीचरयूजर की आंखें बंद होने पर भी फोन को अनलॉक कर देता था। यानी उनके सोने या मृत्यु हो जाने पर कोई भी यूजर के फोन का उपयोग कर सकता है। ऐसे ही सैमसंग के गैलेक्सी एस 10 अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट सेंसर को एक सुरक्षात्मक थर्ड-पार्टी सिलिकॉन स्क्रीन कवर से चकमा दिया जा सकता है, जिसके बाद किसी की भी उंगली से फोन को अनलॉक किया जा सकता है।
पिनकोड या पासवर्ड इसलिए ज्यादा सुरक्षित हैं क्योंकि चार से ६ अंकों के पासकोड का अनुमान लगाने की संभावना 10 हजार प्रयासों में सिर्फ 1 बार है। हालांकि ऐपल कंपनी का कहना है कि किसी व्यक्ति के फोन को अनलॉक करने के लिए किसी के पास समान फिंगरप्रिंट होने की संभावना 50 हजार में से 1 है और एक जैसी शक्ल की फेस ट्रिकिंग फेस आइडी की संभावना भी 10 लाख में से सिर्फ 1 बार है।
बॉयोमीट्रिक्स से चिंतित लोगों का पूरेे तकनीकी उद्योग से विश्वास उठ गया है। 2018 में हुए प्यू सर्वे के अनुसार अकेले अमरीका में ही केवल 25 प्रतिशत वयस्क ही टेक कंपनियों पर अपने उत्पाद की खामियों को दूर करने के मामले में भरोसा करते हैं। जबकि 14 प्रतिशत ऐसे भी हैं जिन्होंने इस मामले में शायद ही उन पर भरोसा किया।
बॉयोमीट्रिक्स से चिंतित लोगों का पूरेे तकनीकी उद्योग से विश्वास उठ गया है। 2018 में हुए प्यू सर्वे के अनुसार अकेले अमरीका में ही केवल 25 प्रतिशत वयस्क ही टेक कंपनियों पर अपने उत्पाद की खामियों को दूर करने के मामले में भरोसा करते हैं। जबकि 14 प्रतिशत ऐसे भी हैं जिन्होंने इस मामले में शायद ही उन पर भरोसा किया।
दुनिया में पासकोड-पिन का उपयोग करने वाले कितने लोग हैं इसका आंकड़ा तो मौजूद नहीं है लेकिन 2016 में ऐप्पल ने कहा था कि आइफोन उपयोग करने वाले 89 प्रतिशत लोग अपने डिवाइस को अनलॉक करने के लिए फिंगरप्रिंट का उपयोग कर रहे थे। वहीं आईबीएम के ४ हजार वयस्कों पर किए गए एक 2018 के सर्वेक्षण में सामने आया कि केवल 67 प्रतिशत लोगों ने ही यह स्व्ीकारा कि वे बायोमेट्रिक्स के साथ सहज थे। जबकि 87 प्रतिशत ने कहा कि वे फिलहाल इसका उपयोग नहीं करते।