भाजपा के प्रत्याशी और नेता हिन्दुत्व की लहर पर सवार होकर अपनी जीत की बात कह रहे हैं। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी और नेता गहलोत सरकार के विकास कार्यों और जनकल्याणकारी योजनाओं के दम पर अपनी जीत बता रहे हैं। हाड़ौती में मतदान के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। प्रदेश की राजनीति में वर्चस्व रखने वाले प्रत्याशियों के विधानसभा क्षेत्र में 2018 के मुकाबले इस चुनाव में मतदान का प्रतिशत गिरा है। इसको लेकर अलग-अलग तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
कोटा: जहां कांग्रेस विधायकों का पत्ता कटा, वहां बढ़ा मतदान
कोटा जिले में मतदान के प्रतिशत में सांगोद क्षेत्र पहले, वहीं पीपल्दा क्षेत्र दूसरे नम्बर पर है। दोनों ही विधानसभा सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं, जिन्हें इस बार पार्टी ने चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। सांगोद में 0.99 प्रतिशत मतदान प्रतिशत बढ़ा है। इस चुनाव में यहां 79.08 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 78.09 प्रतिशत वोट पड़े थे। पीपल्दा में भी इस बार 76.93 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 73.05 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस सीट पर कांग्रेस ने मौजूदा विधायक की नाराजगी दूर करने के लिए नए चेहरे पर दांव लगाया है। भाजपा ने भी जातीय समीकरणों को देखते हुए नए चेहरे को उतारा है। शहरी सीट कोटा दक्षिण में मतदान के बढ़े प्रतिशत ने दोनों ही दलों की धडक़नें बढ़ा दी हैं। इस सीट पर पिछले चुनाव के मुकाबले मतदान का प्रतिशत 1.34 फीसदी बढ़ा है। इस बार यहां 73.61 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 72.27 फीसदी मतदान हुआ था। लाडपुरा और रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत घटा है। दोनों ही जगह भाजपा के विधायक हैं।
कोटा जिले में मतदान के प्रतिशत में सांगोद क्षेत्र पहले, वहीं पीपल्दा क्षेत्र दूसरे नम्बर पर है। दोनों ही विधानसभा सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं, जिन्हें इस बार पार्टी ने चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। सांगोद में 0.99 प्रतिशत मतदान प्रतिशत बढ़ा है। इस चुनाव में यहां 79.08 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 78.09 प्रतिशत वोट पड़े थे। पीपल्दा में भी इस बार 76.93 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 73.05 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस सीट पर कांग्रेस ने मौजूदा विधायक की नाराजगी दूर करने के लिए नए चेहरे पर दांव लगाया है। भाजपा ने भी जातीय समीकरणों को देखते हुए नए चेहरे को उतारा है। शहरी सीट कोटा दक्षिण में मतदान के बढ़े प्रतिशत ने दोनों ही दलों की धडक़नें बढ़ा दी हैं। इस सीट पर पिछले चुनाव के मुकाबले मतदान का प्रतिशत 1.34 फीसदी बढ़ा है। इस बार यहां 73.61 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 72.27 फीसदी मतदान हुआ था। लाडपुरा और रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत घटा है। दोनों ही जगह भाजपा के विधायक हैं।
बूंदी: त्रिकोणीय मुकाबले ने बढ़ाया मतदान
बूंदी जिले की तीन विस सीटों में हिण्डौली को छोड़कर बूंदी और केशवरायपाटन विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ा है। त्रिकोणीय मुकाबले में बूंदी में इस बार 76.57 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 75.32 प्रतिशत वोट डाले गए थे। केशवरायपाटन में इस बार 73.51 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया था।
बूंदी जिले की तीन विस सीटों में हिण्डौली को छोड़कर बूंदी और केशवरायपाटन विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ा है। त्रिकोणीय मुकाबले में बूंदी में इस बार 76.57 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 75.32 प्रतिशत वोट डाले गए थे। केशवरायपाटन में इस बार 73.51 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया था।
झालावाड़: पूर्व सीएम के क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत घटा
झालावाड़ जिले के दो विधानसभा क्षेत्र में मतदान बढ़ा है तो दो सीटों पर मतदान का ग्राफ गिरा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व झालरापाटन से भाजपा प्रत्याशी राजे के क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत गिरा है। इस बार 77.67 फीसदी मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 78 फीसदी वोट पड़े थे। मनोहरथाना सीट पर इस बार 84.12 प्रतिशत तथा 2018 में 85 फीसदी मतदान हुआ था। जबकि खानपुर और डग में मतदान बढ़ा है।
झालावाड़ जिले के दो विधानसभा क्षेत्र में मतदान बढ़ा है तो दो सीटों पर मतदान का ग्राफ गिरा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व झालरापाटन से भाजपा प्रत्याशी राजे के क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत गिरा है। इस बार 77.67 फीसदी मतदान हुआ है, जबकि 2018 में 78 फीसदी वोट पड़े थे। मनोहरथाना सीट पर इस बार 84.12 प्रतिशत तथा 2018 में 85 फीसदी मतदान हुआ था। जबकि खानपुर और डग में मतदान बढ़ा है।
बारां: अंता को छोड़कर तीनों सीटों पर मतदान का ग्राफ बढ़ा
बारां जिले के अंता विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर शेष तीनों विधानसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीट किशनगंज जो सहरिया बाहुल्य क्षेत्र है, मतदान में जिले में अव्वल रहा है। यहां इस बार 81.59 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि पिछली बार 79.91 फीसदी वोट डले थे। छबड़ा में 2018 में 80 फीसदी तथा इस बार 80.52 फीसदी मतदान हुआ है। बारां-अटरू में 77.41 फीसदी मतदान हुआ है।
बारां जिले के अंता विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर शेष तीनों विधानसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीट किशनगंज जो सहरिया बाहुल्य क्षेत्र है, मतदान में जिले में अव्वल रहा है। यहां इस बार 81.59 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि पिछली बार 79.91 फीसदी वोट डले थे। छबड़ा में 2018 में 80 फीसदी तथा इस बार 80.52 फीसदी मतदान हुआ है। बारां-अटरू में 77.41 फीसदी मतदान हुआ है।
तीनों मंत्रियों के क्षेत्र में मतदान
कांग्रेस सरकार में हाड़ौती से तीन मंत्री है। तीनों मंत्री प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे, इनमें दो के विस क्षेत्र में 2018 के मुकाबले मतदान का प्रतिशत गिरा है, जबकि एक मंत्री के क्षेत्र में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई।
कांग्रेस सरकार में हाड़ौती से तीन मंत्री है। तीनों मंत्री प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे, इनमें दो के विस क्षेत्र में 2018 के मुकाबले मतदान का प्रतिशत गिरा है, जबकि एक मंत्री के क्षेत्र में मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई।
मंत्री———— सीट——— 2018— 2023— अंतर
शांति धारीवाल—- कोटा उत्तर—- 74.39— 74.01— 0.38
प्रमोद जैन भाया— अंता——— 80.46— 80.35— 0.11
अशोक चांदना—– हिण्डौली——- 80.19— 81.54— 1.35
मतदान प्रतिशत में जिलेवार मतदान
जिला—2023—2018—2013
कोटा—-76.13—75.45—75.91
बारां—–79.96— 79.22– 78.85
बूंदी——77.16—- 76.00– 76.90
झालावाड़–80.72—81.04— 81.12 वर्तमान में स्थिति
जिला-भाजपा- कांग्रेस
कोटा 3-3
बारां 3-1
बूंदी 2-1
झालावाड़ 4-0
कुल 12-5