प्रभारी मंत्री कटारिया आए, लेकिन खानापूर्ति कर गए
कोटा के प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया 5 अगस्त को दोपहर को कोटा पहुंचे थे। यहां अधिकारियों की मिटिंग करने के बाद कोटा बैराज देखने गए। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बाढग़्रस्त गांवों के हालात देखने नहीं पहुंचे। कुछ घंटों के बाद ही जयपुर लौट गए। उनका दौरा महज खानापूर्ति जैसा रहा।
कोटा के प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया 5 अगस्त को दोपहर को कोटा पहुंचे थे। यहां अधिकारियों की मिटिंग करने के बाद कोटा बैराज देखने गए। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बाढग़्रस्त गांवों के हालात देखने नहीं पहुंचे। कुछ घंटों के बाद ही जयपुर लौट गए। उनका दौरा महज खानापूर्ति जैसा रहा।
पांच दिन बाद पहुंचे गोपालन व खान मंत्री
गोपालन व खान मंत्री प्रमोद जैन भाया अपने गृह क्षेत्र बारां क्षेत्र में बाढ़ के पांच दिन बाद 4 अगस्त को पहुंचे और दौरा करने गए। 9 अगस्त को खानपुर का दौरा करने गए।
परसादीलाल मीणा व जूली आए
बूंदी के प्रभारी परसादीलाल मीणा व झालावाड़ के प्रभारी मंत्री टीकाराम जूली बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने में सक्रिय रहे। उन्होंने लोगों की पीड़ा भी सुनी।
बाढ़ के 15 दिन बाद आएंगे यूडीएच मंत्री
प्रस्तावित सरकारी कार्यक्रम के अनुसार अब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल 18 अगस्त की रात को कोटा पहुंचेंगे और 19 अगस्त को बाढ़ क्षेत्रों का दौरा करेंगे। यानि क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित होने के 15 दिन बाद यूडीएच मंत्री दौरा करने जाएंगे।
बाढ़ व अतिवृष्टि से प्रभावित कोटा संभाग
कोटा- 27 जुलाई से कोटा ग्रामीण क्षेत्र की नदियां उफान पर आ गई। 2 अगस्त से कोटा बैराज के खोले गए। कोटा सिटी में 3 अगस्त को कई बस्तियां पानी से घिर गई थीं। बाढ़ के कारण कोटा में 6 लोगों की जान चली गई। कोटा की कई बस्तियों में पांच दिन से बरसाती पानी भरा है।
कोटा- 27 जुलाई से कोटा ग्रामीण क्षेत्र की नदियां उफान पर आ गई। 2 अगस्त से कोटा बैराज के खोले गए। कोटा सिटी में 3 अगस्त को कई बस्तियां पानी से घिर गई थीं। बाढ़ के कारण कोटा में 6 लोगों की जान चली गई। कोटा की कई बस्तियों में पांच दिन से बरसाती पानी भरा है।
झालावाड़-
22 जुलाई से प्रभावित है। पिड़ावा में एक ही दिन में आठ इंच पानी बरसने के बाद कालीसिंध, चंवली नदी उफान पर आ गई थी। कई लोग बरसाती पानी में फंस गए थे और तीन लोगों की मौत हो गई।
22 जुलाई से प्रभावित है। पिड़ावा में एक ही दिन में आठ इंच पानी बरसने के बाद कालीसिंध, चंवली नदी उफान पर आ गई थी। कई लोग बरसाती पानी में फंस गए थे और तीन लोगों की मौत हो गई।
बारां- -27 जुलाई से बाढ़ के हालात बनने लगे। 31 जुलाई को हालात ज्यादा बिगड़ गए। शाहबाद उपखण्ड के 100 से अधिक गांव टापू बन गए थे। बाढ़ से 10 लोगों जान चली गई।
बूंदी-
-4 अगस्त से प्रभावित हुआ। 5 अगस्त को केशवरायपाटन में मकान गिरने से 7 लोगों की जान चली गई।
-4 अगस्त से प्रभावित हुआ। 5 अगस्त को केशवरायपाटन में मकान गिरने से 7 लोगों की जान चली गई।