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जिला कलक्टर रोहित गुप्ता ने बताया कि प्लांट की स्थापना के लिए रीको से जगह ली जाएगी। प्लांट के उत्पादों का उपयोग स्मार्ट सिटी के कार्यों में होगा। इस तरह के प्लांट लगाने के लिए निजी क्षेत्र के इंजटरप्राइजेज ने भी रुचि दिखाई है। मंगलम सीमेंट से भी बात चल रही है। कोटा में 490 पत्थर कारखाने दिन-रात पत्थर तराशने का काम करते हैं।
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पत्थरों की घिसाई के बाद इन कारखानों से हर रोज 20 से 25 टन स्लरी निकलती है। दशकों तक खुले में फेंकी जा रही स्लरी जब पर्यावरण के लिए खतरा बनने लगी तो राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर रीको ने इंडस्ट्रीयल एरिया में डम्पिंग यार्ड तैयार किया, लेकिन इसके बाद भी स्लरी की समस्या खत्म नहीं हुई तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) के साथ इसका समाधान तलाशने के लिए करार किया।
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तकनीक विकास पर खर्च हुए 70 लाख
सीबीआरआई के ऑर्गेनिक बिल्डिंग मैटेरियल ग्रुप की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रजनी लखानी और उनकी टीम ने दो साल तक चले शोध के बाद कोटा स्टोन स्लरी से बेहद सस्ते और टिकाऊ रेडी फॉर यूज टाइल्स और पेवर ब्लॉक टाइल्स बनाने में सफलता हासिल की। एनजीटी से हरी झंडी मिलने और शोध की प्रमाणिकता साबित होने के बाद सीबीआरआई ने पीसीबी को तकनीक ट्रांसफर कर दी है। इस तकनीक के विकास में 70 लाख रुपए का खर्च आया। इसमें 35 लाख रुपए पीसीबी और 35 लाख रुपए राजस्थान विज्ञान एवं तकनीकी विभाग ने खर्च किए हैं। अब इस तकनीक का इस्तेमाल कर स्लरी की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए कोटा में टाइल्स और पेवर ब्लॉक प्रोडक्शन प्लांट स्थापित किया जाएगा।
एमओयू होते ही शुरू हो जाएगा काम
प्लांट स्थापना और संचालन करने वाले चारों संस्थानों के बीच इसी माह एमओयू हो जाएगा। इसके बाद प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। स्लरी से टाइल्स और पेवर ब्लॉक बनाने वाला यह देश का पहला प्लांट होगा। प्लांट की शुरुआती क्षमता एक शिफ्ट में 25 हजार टाइल्स बनाने की होगी।
प्लांट स्थापना और संचालन करने वाले चारों संस्थानों के बीच इसी माह एमओयू हो जाएगा। इसके बाद प्लांट का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। स्लरी से टाइल्स और पेवर ब्लॉक बनाने वाला यह देश का पहला प्लांट होगा। प्लांट की शुरुआती क्षमता एक शिफ्ट में 25 हजार टाइल्स बनाने की होगी।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में होगा स्थापित
प्लांट की स्थापना स्मार्ट सिटी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत की जाएगी। प्लांट चार संस्थानों का साझा उपक्रम होगा, जिसकी नोडल एजेंसी नगर निगम को बनाया गया है। निगम ही मशीनरी और भवन निर्माण पर आने वाला करीब 50 लाख रुपए का खर्च वहन करेगा। रीको प्लांट की स्थापना के लिए इंडस्ट्रीयल एरिया के स्लरी डंपिंग यार्ड में जमीन देगा। वहीं स्लरी से टाइल्स और पेवर ब्लॉक बनाने की तकनीक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुहैया कराएगा।
प्लांट की स्थापना स्मार्ट सिटी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत की जाएगी। प्लांट चार संस्थानों का साझा उपक्रम होगा, जिसकी नोडल एजेंसी नगर निगम को बनाया गया है। निगम ही मशीनरी और भवन निर्माण पर आने वाला करीब 50 लाख रुपए का खर्च वहन करेगा। रीको प्लांट की स्थापना के लिए इंडस्ट्रीयल एरिया के स्लरी डंपिंग यार्ड में जमीन देगा। वहीं स्लरी से टाइल्स और पेवर ब्लॉक बनाने की तकनीक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुहैया कराएगा।