कोटा

देश-विदेश से कोटा आए इंजीनियर्स बोले-याद आती है रोडवेज बसों की छतों पर बैठकर कॉलेज आना

25 साल पहले कोटा ने जो लीडरशिप सिखाई, उसी की बदौलत आज कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज के 320 पूर्व छात्र पूरी दुनिया को लीड कर रहे हैं।

कोटाDec 24, 2017 / 10:24 am

​Zuber Khan

कोटा . 25 साल पहले कोटा ने जो लीडरशिप सिखाई, उसी की बदौलत आज कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज के 320 पूर्व छात्र दुनिया को लीड कर रहे हैं। ढाई दशक पहले भी कोटा देश के युवाओं का जीवन संवार रहा था और आज भी उन्हें सफलता की राह दिखा रहा है। दुनिया भर में सफलता के झंडे गाड़़ रहे पूर्व छात्र जब कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज (आरटीयू) की स्थापना के रजत जयंती समारोह में जुटे तो पुरानी यादों में खो गए।
कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज में साथ पढऩे वाले इंजीनियर्स 25 साल बाद फिर मिले तो बूंदी रोड स्थित एक रिसॉर्ट में पूरा राजस्थान जीवंत हो उठा था।
 

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कैर सांगरी और बाजरे के पकवानों की सौंधी सुगंध के बीच 200 से ज्यादा पूर्व छात्रों को एक बार फिर साथ देख कालबेलिया से लेकर घूमर के रंग फिजा में उडऩे लगे।
कोई कैलिफोर्निया से आया था तो कोई अमरीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलियासे। कोई इन्फोसिस में वाइस प्रेसिडेंट है तो कोई एप्पल में सीनियर सॉफ्टवेयर मैनेजर है तो कोई आरएएस और आईएस। पुराने दोस्त मिले तो देर रात तक मस्ती हुई, धमाल मचा।
 

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जिसके राखी बांध देती, सीनियर हाथ नहीं लगाते

कैलिफॉर्नियां से आईं मल्टी नेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी की सीनियर मैनेजर नीलम विजय ने कहा कि कोटा ने हमें लीडरशिप सिखाई, जिसकी बदौलत अब हम दुनिया को लीड कर रहे हैं। 25 साल पहले की हसीं यादों में खोई नीलम बताती हैं कि कॉलेज में नए लड़कों को रैगिंग से बचाने की जिम्मेदारी उनकी थी। जिसकी कलाई पर वह राखी बांध देतीं सीनियर्स उसे हाथ नहीं लगाते। नतीजा ये हुआ कि जो भी नया लड़का दाखिला देता राखी बंधवाने के लिए आगे-पीछे घूमने लगता। नीलम कहती हैं कि अमरीकी एयरपोर्ट के अधिकारी अब उन्हें कचौरी स्मगलर कहने लगे हैं। जब भी वे कोटा आती हैं 300-400 कचौरियां लिए बिना नहीं जातीं। इन कचौरियों को वह अपने मिलने वाले भारतीय परिवारों में बांटती हैं।
 

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याह आती है कोटा की वो बातें…
डिप्टी कमिश्रर अनिल पारासर बताते हैं कि उनके बैच के ज्यादातर छात्र हॉस्टल में होने वाली रैगिंग से बचने के लिए गुमानपुरा में रूम लेकर रहते थे। बाइक-स्कूटर लाने पर सीनियर्स की सख्त पाबंदी थी और किसी को साइकिल चलाना अच्छा नहीं लगता था। इसलिए सारे लड़के गुमानपुरा बस स्टैंड पर इक_ा होते और रोडवेज बस की छत पर बैठकर कॉलेज पहुंचते। बस नहीं आती तो लिफ्ट मांग कर काम चलाते, लेकिन इन सबके बावजूद कोटा कॉलेज के छात्रों का रुतबा तमाम आईआईटी से ऊंचा था। अब 5 फीसदी छात्रों को रोजगार नहीं मिल पा रहा, उस वक्त 5 फीसदी भी खाली नहीं रहते थे।
 

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भीतरिया कुंड और मिस युगांडा
ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के प्रवक्ता विकास जैन और उनके दोस्त उस दौर की याद करते हुए कहते हैं कि 25 साल में कोटा ने जबरदस्त विकास किया। उस वक्त तो कॉलेज, हॉस्टल और रूम के बाद कुछ बचता था तो सीबी गार्डन, भीतरिया कुंड और गेपरनाथ की पहाडिय़ां। ये ही युवाओं के फेवरेट स्पॉट थे। साथी लड़कियों से छेड़छाड़ नहीं, चुहलबाजी होती थी। सबसे खूबसूरत लड़की जब गल्र्स कॉमन रूम से निकलती तो लड़के उसे कभी मिस युगांड़ा तो कभी मिस साउथ अफ्रीका कह दिया जाता। इसके आगे किसी लड़की को परेशान करते।
 

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थैंक्स कोटा
स्कॉटलैंड से आए इन्फोसिस के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट सुजीत सिंह ने कोटा का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इस शहर ने 25 साल पहले भी देश भर के युवाओं को सुनहरा भविष्य दिया था और आज भी दे रहा है। यहां आज भी पहले जैसी गर्मजोशी बरकरार है। कोटा ने हमेशा युवाओं की नींव को मजबूत किया है, इसीलिए आज सफलता की इमारत बुलंद है।

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