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राजस्थान में यहां मंदिर में दर्शन करने पर लगती है हाजिरी, सर्वाधिक उपस्थिति पर मिलता है पुरस्कार

Digambar Jain Mandir With Hostel: बालिकाएं जब प्रवेश लेती हैं तो उन्हें छात्रावास के नियमों से अवगत करवा देते हैं। वे मंदिर में दर्शन करने से पहले रजिस्टर में नाम लिखकर साइन करती हैं।

कोटाSep 23, 2024 / 02:10 pm

Akshita Deora

हेमंत शर्मा

Unique Jain Temple: पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध से प्रभावित हो रहे बच्चों को शिक्षा के साथ धर्म व संस्कारों से जोड़ने की एक पहल तलवंडी स्थित महावीर दिगंबर जैन मंदिर व आर्यिका गणिनी 105 विशुद्धमति माताजी बालिका छात्रावास समिति ने की है। देश भर से जैन समाज की 70 प्रतिभावान छात्राएं वर्तमान में यहां रहकर जेईई और नीट की कोचिंग कर रही हैं। नियमित दिनचर्या हो और पढ़ाई के तनाव न हो, इसलिए छात्राओं की हर दिन मंदिर में हाजिरी लगती है। साल में सर्वाधिक उपस्थिति वाली छात्राओ को पुरस्कृत किया जाता है। मंदिर व छात्रावास एक ही परिसर में हैं। छात्राएं मंदिर में दर्शन और पूजा कर कोचिंग जाती हैं।
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मन रहता है शांत

मध्यप्रदेश सुसनेर की हर्षाली कहती हैं कि मैं रोज मंदिर होकर कोचिंग जाती हूं। भगवान के दर्शन से सकारात्मक विचार आते हैं। मन शांत रहता है, यह आभास होता है कि एक शक्ति है जो हमारा ध्यान रख रही है। जेईई की तैयारी कर रही अजमेर केकड़ी की प्राची मानती है कि मंदिर के दर्शन से एक रुटीन बन गया है। इसे एक अनुशासन के रूप में भी देख सकते हैं। सौम्या कोचिंग जाने से पहले मंदिर आती है और शाम को मंदिर की आरती में शामिल होती है। अहिंसा जैन सीए की तैयारी कर रही है। वह मंदिर में आना और पुरस्कार सभी को एक तरह से मोटिवेशन के रूप में देखती है।

प्रवेश के समय ही बता देते हैं नियम

छात्रावास की प्रभारी निधि सेठी व छात्रावास प्रबंधक अंजू जैन बताती हैं कि बालिकाएं जब प्रवेश लेती हैं तो उन्हें छात्रावास के नियमों से अवगत करवा देते हैं। वे मंदिर में दर्शन करने से पहले रजिस्टर में नाम लिखकर साइन करती हैं। शाम को नियमित प्रार्थना का क्रम बना हुआ है। दशलक्षण पर्व में कई बच्चों ने तो उपवास भी रखे थे।
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आज के दौर में बच्चों को धर्म व संस्कारों से जोड़े रखना जरूरी है। वर्ष 2014 में आर्यिका गणिनी विशुद्धमति माताजी का चातुर्मास हुआ था। उनका मानना था कि दूरदराज से आने वाली बालिकाएं यहां रहकर पढ़ सके, शुद्ध आहार मिले, साथ ही अनुशासन व संस्कार की सीख मिले। उन्हीं की प्रेरणा से यहां छात्रावास बनवाया।छात्रावास के बच्चे कोचिंग, स्कूल जाने से पहले मंदिर में दर्शन करते हैं और उपिस्थति भी दर्ज करते हैं। सर्वाधिक अटेंडेस वाली छात्राओं को दीपावली के मौके पर पुरस्कृत करते हैं।
जेके जैन, कार्यवाहक अध्यक्ष, सकल दिगम्बर जैन समाज

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