शिवपुरी धाम के संचालक संत सनातनपुरी बताते हैं कि यह स्थान राणारामपुरी महाराज की तपोभूमि रही है। उन्होंने बताया कि उनके गुरु नागा बाबा राणारामपुरी महाराज नेपाल काठमांडृ स्थित परशुपति नाथ गए थे। 1986 में उन्होंने वहां महायज्ञ करवाया था। इसके बाद उन्हें भगवान शिव ने दर्शन दिए और कहा कि मेरा मुख पशुपतिनाथ में और पीठ केदारनाथ में है, भारत में भी 525 शिवलिंग होने चाहिए।
यह भी पढ़ें
135 फीट लबी गुफा में विराजमान है स्वयंभू शिवलिंग, 950 साल से अधिक पुराना है राजस्थान का ये मंदिर
संत राणारामपुरी महाराज ने इस स्वप्न को संकल्प बना लिया। कोटा आने के बाद 1987 में उन्होंने अपनी तपोभूमि शिवपुरी धाम पर द्वादष ज्योतिर्लिंग की स्थापना करवाई। 1988 में महाराज अपने शिष्य सनातन पुरी को उत्तरदायित्व सौंपकर ब्रह्मलीन हो गए। गुरु के संकल्प को पूर्ण करने में संत सनातनपुरी जुट गए। वर्ष 2007 में 121 कुंडीय महायज्ञ करवाया और 525 शिवलिंगों की स्थापना कर गुरु के संकल्प पूरा कर दिया, जिसके बाद से ही यहां भक्तों की भीड़ लगने लगी। यह भी पढ़ें