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मां ने पड़ोसी से पैसे उधार लेकर सेवा के लिए भेजा
अयोध्या में अपनी कार सेवा की स्मृति को याद करते हुए मुरलीधर शर्मा ने बताया कि कार सेवा में जाने का जज्बा था। पैसे नहीं थे तो मां ने पड़ोसी महिला से पैसे उधार लेकर उन्हें कार सेवा के लिए भेजा। लखनऊ जाने वाली ट्रेन में उनके जत्थे के ज्यादातर लोगों को पुलिस ने मथुरा में ही गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ कुछ कार सेवक पुलिस से बचकर लखनऊ पहुंच गए जहां पुलिस को गिरफ्तारी देनी पड़ी।
अयोध्या का मंजर देखकर आज भी सिहर उठते हैं कारसेवक
30 अक्टूबर को कार सेवक जेल तोड़कर पैदल अयोध्या के लिए निकल पड़े। चार दिन पैदल चले तो कई के पैरों में छाले भी पड़ गए। अयोध्या का मंजर ऐसा था जिसे याद कर आज भी कार सेवक सिहर उठते हैं। चारों तरफ भारी पुलिस बल व सेना थी। सरयू नदी में कार सेवकों के शव तैर रहे थे। इसी बीच कार सेवक एवं पुलिस के बीच संघर्ष शुरू हो गया। जगह-जगह पुलिस की गोलीबारी से बचते और एक दूसरे को बचाते कार सेवक एक दूसरे का हौसला बढ़ा रहे थे। बावजूद इसके कार सेवक कार सेवा में जुटे रहे।
पुलिस ने शुरू की ताबड़तोड़ फायरिंग
पुलिस ने कार सेवकों पर आंसू गैस व ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी। उनकी आंखों के सामने कोठारी बंधु व जोधपुर के महेन्द्र अरोड़ा पुलिस की गोली से शहीद हो गए। वे खुद भी पुलिस से बचने के लिए एक भवन की छत पर चढ़ गए। इसी दौरान एक गोली आई जो उनके कंधे व गले के बीच में लगी और पसलियों में फंस गई।
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कार सेवकों ने यहां मौजूद कुछ पत्रकारों के वाहनों की मदद से उन्हें अयोध्या के अस्पताल में भर्ती करवाया। कई दिनों तक उपचार चला। स्वस्थ होकर जब शर्मा बपावर पहुंचे तो रास्ते में जगह-जगह उनका जोरदार स्वागत हुआ।