रामगढ़ से ही आया था शहंशाह
मुकुन्दरा हिल्स नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने के बाद रामगढ़ से ही बाघ की सौगात मिली थी। रणथंभौर से निकलकर रामगढ़ के जंगलों में आए बाघ को 3 अप्रेल 2018 में रामगढ़ से रेस्क्यू कर मुकुन्दरा हिल्स में छोड़ा गया था। रणथंभौर का बाघ टी-91 रामगढ़ में 4 माह रहा था। इससे पहले 2013 में टी-62 डेढ़ वर्ष तक रामगढ़ में विचरता रहा।
& रामगढ़ में 90 के दशक तक बाघ रहे हैं। मेरा मानना है कि यह टाइगर रिजर्व प्रदेश का नंबर वन टाइगर रिजर्व रहेगा। मेज नदी इसकी जीवनरेखा है। विभाग ने हाल ही में काफी तलाइयां व एनीकट बनाए हैं। इससे इनमें बरसाती नालों का पानी भी संग्रहित रहता है। बि_ल सनाढ्य, प्रभारी पिपुल फॉर एनीमल
90 के दशक तक थे बाघ
& रामगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए अनुकूल है। रामगढ़ सेंचुरी को बाघों की प्रजनन स्थली के रूप में जाना जाता है। यहां पूर्व में टाइगर रहे हैं। गत वर्षों में यहां पर काफी विकास कार्य हुए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से भी काफी सुधार हुए हैं।
राकेश शर्मा, पूर्व वन अधिकारी
बाघों की नर्सरी था रामगढ़
& रामगढ़ में पूर्व के दशकों में बाघिन यहीं आकर शावकों को जन्म देती थी। उम्मीद है पुराने दिन वापिस लौटेंगे। दिल्ली जू से लाकर यहां कुछ सांभर व चीतल छोड़े गए हैं। कितने क्षेत्र में टाइगर रिजर्व बनाया जाना है, यह फिलहाल नहीं कह सकते।
आनंद मोहन, मुख्यवन संरक्षक, वन्यजीव, एवं फील्ड डारेक्डर, मुकुन्दरा हिल्स एवं टाइगर रिजर्व
नरेन्द्र जैरथ ने बताया की रणथंभौर से पुरखों की राह पर आ रहे हैं बाघ राजस्थान वाइल्ड लाइफ प्रिवेंशन बोर्ड के सदस्य और तत्कालिक दरा गेम सेंचुरी के मानद गेम वार्डन मेजर आपजी कल्याण सिंह की 1970 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार चंबल की घाटी, उम्मेदगंज, अलनिया, दरा, शेरगढ़, रामगढ़, राज्या देवी, किशनगंज, शाहबाद व हाड़ौती के आस-पास के जंगलों में दर्जनों बाघ व बड़ी संख्या में वन्यजीवों का बसेरा था।
बाघ 09 04 03 01 01
सांभर 53 20 24 06 02
नीलगाय 65 425 ***** 883 628
चीतल 08 35 119 30 36
जंगली ***** 120 442 551 31 80
लंगूर 982 1921 2297 969 680
भालू 02 00 00 05 08
तेंदुआ 12 39 33 02 032018 व 2019 की स्थिति
वन्यजीव 2018 2019
बाघ 00 00
तेंदुए 04 05
सियार 27 22
जरख 15 05
भेडिय़ा 00 00
भालू 13 10
चीतल 54 31
नीलगाय 829 523
वाइल्ड बोर 104 66