दरअसल कोटा जिले के ग्रामीण इलाके में स्थित सातल खेड़ी गांव में रहने वाले मजदूर के परिवार की यह घटना है। रामगंज मंड़ी थाना पुलिस ने बताया कि युवक का नाम मेघराज है। वह छह साल का था जब कोटा रेलवे स्टेशन से एक ट्रेन में चढ़ गया था। पंद्रह साल पहले जब वह छह साल का था तो मजदूर माता-पिता के काम पर जाने के बाद हर दिन की तरह घर के बाहर खेल रहा था। इस दौरान किसी के साथ कोटा रेलवे स्टेशन तक जा पहुंचा। वह अपने भाई के साथ कचरा जमा कर रहा था, इस दौरान उसे पुलिसकर्मी ने डांट दिया। तो वह भागा और रेलवे स्टेशन पर पहुंचा।
उस समय एक मेला स्पेशल ट्रेन एमपी, यूपी समेत अन्य राज्यों के लिए रवाना हो रही थी। मेघराज उसमें छुपकर बैठ गया। वह ट्रेन कई राज्यों में होती हुई तेलांगना जा पहुंची। वहां पहुंचने के बाद भाषा संबधी समस्या शुरू हुई। पुलिस ने मेघराज को पकड़ा। लेकिन वह अपने शहर का नाम और राज्य का नाम नही बता सका। उसे सिर्फ अपने कस्बे का नाम रामगंज मंडी ही पता था। पुलिस ने बिहार में इसी तरह के एक कस्बे तक जाकर जांच की लेकिन मेघराज के परिवार के बारे में पता नहीं लगा।
उसके बाद तेलांगना के ही एक आनथ आश्रम में मेघराज रहने लगा। वहां से उसकी पढ़ाई शुरू हुई। जो बच्चा हिंदी भी मुश्किल से बोलता था अब वह अंग्रेजी और तेलगू सीख गया और सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गया। इस दौरान उसने अपने परिवार की तलाश जारी रखी। आखिर गूगल की मदद लेकर अब वह अपने गांव तक आ पहुंचा। जब मां और भाई ने मेघराज को देखा, उसने अपने बचपन के बारे में बताया तब जाकर परिवार को यकीन हुआ और फिर तो सब भावुक हो गए। उसकी मां सुगना देवी भी मजदूरी करती है। पिता की कुछ समय पहले मौत हो चुकी है। परिवार में अब खुशी का माहौल है। पुलिस का कहना है कि मेघराज के लापता होने की फाइल काफी मोटी हो गई थी, अब जाकर इसका निस्तारण हुआ है।