कई दिनों तक सहीं यातनाएं, दुश्मनों ने काट दिए थे कई अंग, फिर भी नहीं बताए देश के राज, जानें राजस्थान के वीर अर्जुनराम की शहादत की कहानी
मिलनसार था हेमराज
दोस्तों ने बताया, हेमराज मिलनसार था, हर किसी पर छाप छूटती थी। पंकज ने रुंधे गले से बताया, हमले से 5 दिन पहले सांगोद आया तो मिला था। कहा, मुझे जम्मू-कश्मीर जाना है। जल्द छुट्टी मिलेगी, फिर लौटूँगा। साथी नरोत्तम सोनी ने बताया, हेमराज बहुत बहादुर था। कहता था कि हम बंधे हुए हैं। पत्थर खा सकते हैं लेकिन पत्थर मार नहीं सकते। हेमराज के साथी आनंद मंगल, रितेश गर्ग, चन्द्रशेखर शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, प्रियंक जैन ने कहा, हेमराज को दर्द था कि हमारे जवानों को आए दिन मार दिया जाता है लेकिन हमारी सरकार ठोस कदम नहीं उठाती।
पिता को याद कर भावुक हुई बेटी
शहीद हेमराज की बड़ी बेटी रीना ने कहा, पिता कहते थे कि राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं है। देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना उनका मिशन था। यह मिशन पूरा होना चाहिए। मैं टीचर बनना चाहती थी लेकिन अब पापा जो काम अधूरा छोड़कर गए हैं, उसे पूरा करने में भी मदद करना चाहती हूँ। जीवन में जो कुछ करूंगी, देश के लिए ही करूंगी। वे लोग बहुत गंदे होते हैं, जो अकारण सबकुछ छीन लेते हैं। इतना कहने बाद रीना आगे कुछ नहीं बोल पाईं। उनके परिजनों ने कहा, आतंकियों और उन्हें पोषण देने वालों का जड़ से सफाया करना ही शहीदों को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।