लक्षण डेंगू जैसे, लेकिन डेंगू नहीं
अस्पताल में ऐसे भी मरीज आ रहे हैं जिनमें लक्षण डेंगू जैसे होते है। अचानक प्लेटलेट्स भी कम हो रही होती है। लेकिन जब जांच करते हैं तो डेंगू नेगेटिव होता है। इससे साफ है कि प्लेटलेट्स गिरने का मतलब, सीधे डेंगू नहीं होता। यह बुखार का नया स्ट्रेन है या कुछ और फिलहाल इसका जवाब चिकित्सकों के पास भी नहीं है।मौसम: किसानों में चिंता, फसलों को नुकसान, तेज हवा के साथ बारिश, खेतों में आड़ी पड़ी फसलें
गले व गाल में सूजन
इन दिनों बच्चों में भी वायरल संक्रमण फैल रहा है, जिसमें कान के निचले हिस्से व गले में सूजन आ रही है। चिकित्सकीय भाषा में इसे मम्प्स और आम बोलचाल में इसे गलसुआ या गलफड़ा बोला जाता है। यह बीमारी आमतौर पर संक्रमित मरीज के खांसने व छींकने से हवा के जरिए दूसरे लोगों में फैलती है। इस बीमारी से स्कूली बच्चे ज्यादा ग्रसित हो रहे है। इसमें कानों के नीचे और चेहरे के सामने वाले हिस्सों पर सूजन, दर्दनाक लार ग्रंथियां, गले में खराश, बुखार, सिरदर्द, थकान और भूख में कमी जैसे लक्षण सामने आ रहे है। ठीक होने में करीब दो हफ्ते लग रहे हैं।प्लेटलेट्स गिरे तो यह करे घरेलू उपाय
– इस बीमारी में सबसे पहले तो चिकित्सकीय जांच एवं उपचार जरूरी है– घरेलू उपचार में पपीते का काढ़ा बनाकर पीए – रोजाना मुठ्ठीभर मुनक्का भिगोकर खाए
– संतरा, आंवला, नीबू जैसे विटामिन सी से भरपूर आहार ले
– पालक का सूप, हरी सब्जी व चुकंदर का उपयोग करें
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मम्प्स के दौरान यह बरते सावधानी
– मम्प्स एक संक्रामक रोग है, लक्षण दिखने पर चिकित्सक को दिखाए– गर्म पानी एवं नमक से गालों की सिकाई करे – सूजन एवं दर्द को कम करने के लिए अदरक एवं हरड़ का उपयोग करे
– बीमारी से बचाव के लिए संक्रमित मरीज से दूरी बनाकर रखे
एक्सपर्ट व्यू
– वायरल बुखार में भी प्लेटलेट्स कम हो सकती है। अभी कुछ मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनकी डेंगू की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है, लेकिन प्लेटलेट्स में कमी आई है। ऐसे में घबराएं नहीं, चिकित्सक से सलाह लें। बच्चों में मम्प्स बीमारी के भी प्रतिदिन मामले सामने आ रहे है। संक्रमित बच्चों को घर पर रहकर आराम करने की जरूरत होती है। इसके लिए जल्द स्कूलों में भी एडवायजरी जारी की जाएगी।