कोटा

मंत्रीजी के शहर में डाक बंगला आने से कतराते हैं लोग

संभाग मुख्यालय कोटा के सार्वजनिक निर्माण विभाग के डाक बंगले के बुरे हाल, यहां आकर विश्राम करने से हर कोई कतराता है। सरकारी कार्मिक यहां आकर दुबारा विश्राम करने की सोचते तक नहीं, कुछ तो विश्राम किए बिना ही अन्यंत्र व्यवस्था के लिए लौट जा रहे हैं।

कोटाJun 28, 2021 / 10:42 pm

Kanaram Mundiyar

Kota’s Dak Bungalow

कोटा.
यह है स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के शहर स्मार्ट सिटी कोटा का डाक बंगला (Kota’s Dak Bungalow ) । यहां आकर विश्राम करने से हर कोई कतराता है। सरकारी कार्मिक यहां आकर दुबारा विश्राम करने की सोचते तक नहीं, कुछ तो विश्राम किए बिना ही अन्यंत्र व्यवस्था के लिए लौट जा रहे हैं। ऐसे स्थिति डाक बंगले की दुर्दशा के कारण पैदा हो रही हैं।

एक तरफ कोटा शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य हो रहे हैं, लेकिन यहां सार्वजनिक निर्माण विभाग के विश्रांति भवन (डाक बंगला) की हालत की सुधारने के प्रति किसी का ध्यान नहीं है। आए दिन अस्पताल और सरकारी भवनों में रख रखाव की शिकायतें आती हैं, लेकिन विभाग अपने ही डाक बंगले का रखरखाव नहीं कर पा रहा है।

सालों से गद्दे तकिए तक क्रय नहीं किए गए हैं। यहां के बिस्तर और टॉयलेट से दुर्गन्ध आती है। कोई बिना सिफारिश आता है तो उसे ऐसा कमरा दिखाया जाता है, जिसकी दुर्गंध से वह जल्दी चला जाता है। संभागीय मुख्यालय के इस डाक बंगले की ओर किसी का ध्यान नहीं है। कोटा में अतिरिक्त मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी बैठते हैं, लेकिन डाक बंगले की हालत पर किसी का ध्यान नहीं है।

पत्रिका टीम ने यहां का जायजा लिया तो पाया कि डाक बंगले की ठीक से सफाई तक नहीं होती है। जो स्टाफ यहां रहता है, वह ठीक से बात तक नहीं कर पाता। आम आदमी तो दूर बिना सिफारिश के सरकारी कर्मचारियों को भी यहां कमरा मिलना मुश्किल है। जब कोई कमरा लेने जाता है तो उससे यही पूछा जाता है कि किसी की सिफारिश है या नहीं और पहले सहायक अभियंता से बात कराओ, तब कमरा खाली होने की जानकारी दी जाएगी। शनिवार को पूरा डाक बंगला खाली था, लेकिन कार्मिकों ने यहां आए लोगों को यह कहकर टाल दिया कि बड़े साहब आए हैं, उनका स्टाफ यहां ठहर सकता है, इसलिए कोई कमरा बुक नहीं किया जा रहा। यहां तैनात कर्मचारी भोलेशंकर ने बताया कि 2015 के बाद कोई नया गद्दा नहीं खरीदा गया। यहां कुल 16 कमरे हैं।
केवल एक स्थाई कर्मचारी-
डाक बंगले के रखरखाव और चौकीदारी के लिए केवल एक स्थाई कर्मचारी है, बाकी मानेदय पर रखे हुए हैं। तीन शिफ्ट में कार्य करने और रख रखाव के लिए 8 स्थाई कर्मचारियों की आवश्यकता है।

नेताओं का स्टाफ ठहरता है-
इस डाक बंगले (Kota’s Dak Bungalow ) में आए दिन नेताओं का स्टाफ ठहरता है, लेकिन इसकी हालत के लिए किसी नेता ने प्रयास नहीं किए। जब कोई मंत्री शहर में आता है, तब किसी को कमरा नहीं दिया जाता। भले ही मंत्री का स्टाफ यहां आए या न आए, लेकिन कमरे रिजर्व रखे जाते हैं।

विजिटर बुक तक नहीं-
डाक बंगले में ठहरने वाले आगुंतकों के फीडबैक के लिए यहां विजिटर बुक की सुविधा तक नहीं हैं। न ही शिकायत पुस्तिका या बॉक्स की व्यवस्था है। ऐसे में यहां ठहरने वाले आगुंतक अव्यवस्था झेलने के बावजूद उच्च स्तर पर अपनी पीड़ा नहीं पहुंचा पाते हैं।
अधिशासी अभियंता डी. पी. अग्रवाल से सीधी बात-
सवाल : डाक बंगले की हालत खराब है, गद्दे तक ठीक नहीं हैं?
जवाब : डाक बंगले की छह माह पहले ही पुताई कराई है, अभी तो अच्छी हालत में हैं।
सवाल : नए गद्दे क्यों नहीं क्रय किए जा रहे हैं?
जवाब : जिस तरह से बजट मिलता उसी अनुपात में क्रय किए जाते हैं। समय-समय पर नए गद्दे खरीदते हैं। सभी कार्यों का मद अलग है। बिजली के मद में जब राशि मिलती तो बिल चुकाते हैं। कई बार इसमें देरी हो जाती है।
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सवाल : अभी डाक बंगले में क्या कार्य कराए जाने की जरूरत है?
जवाब : पुराने हो चुके कूलरों की जगह नए कूलर खरीदे जाने हैं।
सवाल: हालत सुधारने के लिए विधायक कोष से भी मदद ली जा सकती है, ऐसा क्यों नहीं किया?
जवाब: यदि इस मद में राशि मिल जाए तो डाक बंगले को और बेहतर कर सकते हैं।

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