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कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले सितम्बर 2013 में कोटा से दरा के बीच करीब 24 किमी. सड़क का रिनोवेशन का कार्य करवाया था। यह कार्य सार्वजनिक निर्माण विभाग के राष्ट्रीय राज्य मार्ग खंड द्वारा झालावाड की एक से करवाया गया था। करीब 14.50 करोड़ की लागत से हुए इस सड़क निर्माण कार्य में गुणवता के मापदंडों को नहीं अपनाने से सड़क निर्माण के दो माह बाद ही पहली बारिश में पूरी सड़क बह गई थी। जिससे उसमें दो-दो फीट के बड़े-बड़े गड्ढ़े हो गए थे। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इसकी गुणवत्ता की जांच की तो उसमें काफी खामियां पाई गई थी।
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यह सड़क सांगोद विधानसभा क्षेत्र में होने से इसके निर्माण में गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं होने से टूटी सड़क और 14.50 करोड़ रुपए के काम पहली ही बारिश में बह जाने से इसकी शिकायत सांगोद विधायक हीरालाल नागर ने जुलाई 2015 में एसीबी के एसपी को की थी। जिसमें इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकािरयों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की थी। रामगंजमंडी विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने भी विधानसभा में इस मामले को उठाया था।
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एसीबी की जांच में भी मामला सही पाया था
विधायक नागर की शिकायत पर एसीबी के तत्कालीन एएसपी ने इसकी जांच की। जयपुर से आए सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों द्वारा लिए सड़क सड़क निर्मा़ सामग्री के सेम्पल और उसकी प्रयोगशाला में जांच करने पर गुणवत्ता में कमी पाई गई थी। जिस मात्रा में सीमेंट, डामर व कंकरीट का मिश्रण किया जाना था वह उससे कहीं कम मात्रा में पाया गया। जिसके कारण सड़क समय से पहले ही उखड़ गई थी। एसीबी ने उसी सेेम्पल के आधार पर जांच के बाद मामला सही पाया था। इसके बाद एसीबी ने करीब 6 माह पहले सड़क निर्माण कार्य में लगे जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा एसीबी मुख्यालय को की थी।
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इनके खिलाफ हुआ मामला दर्ज
एसीबी मुख्यालय ने जांच के दौरान उस समय सड़क निर्माण कार्य में लगे जिम्मेदार इंजीनियरों के दोषी पाए जाने पर सार्वजनिक निर्माण विभाग राष्ट्रीय उच्च मार्ग खंड कोटा के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता दिनेश तिवारी,सहायक अभियंता चंद्र प्रकाश गर्ग, दरा खंड के सहायक अभियंता भंवरलाल महावर, नगर खंड कोटा के सहायक अभियंता श्याम मनोहर शर्मा व ढेकेदार प्रेमचंद सुमन के खिलाफ पीसी एक्ट की धारा 13(1),13(2) डी और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत 30 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज हुई है।
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घटिया निर्माण पर की थी शिकायत
सार्वजनिक निर्माण विभाग ने झालावाड के ठेकेदार से कोटा -दरा सड़क के 24 किमी. के हिस्से का निर्माण कराया था। निर्माण में गुणवत्ता नहीं होने से सडक पहली ही बारिश में बह गई थी। सड़क निर्माण पर 14.50 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसकी शिकायत उन्होंने एसीबी में की थी। अब मामला दर्ज हुआ है तो इसकी जांच में दोषी इंजनियर व ठेकेदारों को सजा भी मिलनी चाहिए।
हीरालाल नागर, विधायक सांगोद
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एफआईआर दर्ज, जांच के लिए आई
विधायक हीरालाल नागर की शिकायत पर एसीबी ने पीई दर्ज कर मामले की जांच की थी। जांच में मामला सही पाए जाने पर जिम्मेदार इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्जकरने की अनुशंसा करीब 6 माह पहले मुख्यालय को की थी। सोमवार को ही इसमें 4 इंजीनियरों व एक ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज होकर उसी दिन जांच के लिए कोटा आ गई। अब मामले की जांच की जाएगी। इसके बाद ही आगामी कार्यवाही होगी।
ठाकुर चंद्रशील, एएसपी एसीबी