दर ही तय नहीं
भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बारां जैसलमेर और भरतपुर समेत अधिकांश जिलों में निजी एम्बुलेंस की दरें ही तय नहीं है। कई जिलों में कोरोनाकाल में दरें तय हुई, लेकिन अब रेट में मनमानी चल रही है।राजस्थान के सरकारी अस्पतालों के आस-पास कानफोड़ू शोर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड करता है 24 घंटे मॉनिटरिंग
लपकते हैं, झगड़ा भी
सरकारी अस्पतालों के बाहर दर्जनों निजी एम्बुलेंस खड़ी रहती हैं। मुख्य द्वार के दोनों ओर इन्होंने ही कब्जा कर रखा है। रैफर रोगी, जांच के लिए जाने वाले मरीज या डेड बॉडी को देखते ही ये लोग परिजनों पर लपक पड़ते हैं। कई बार झगड़ा भी करते हैं।शिकायत आएगी तो कार्रवाई करेंगे…
निजी एम्बुलेंस संचालक तय किराए से अधिक वसूल रहे हैं तो पीड़ित आरटीओ के पास शिकायत कर सकते हैं। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।राजेन्द्र सिंह शेखावत, आरटीओ प्रथम जयपुर
निजी एम्बुलेंस हमारे नियंत्रण से बाहर
हम केवल सरकारी एम्बुलेंस की जांच करते हैं। निजी एम्बुलेंस हमारे नियंत्रण से बाहर है। केवल शुरुआत में रजिस्ट्रेशन के दौरान सुविधाएं देखते हैं। उसके बाद इन्हें हम नहीं देखते।दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर बड़ा हादसा, ढही निर्माणाधीन टनल, 1 की मौत, 3 घायल, ठेका कम्पनी पर लगा इतने लाख का जुर्माना
प्रदेश में कहां क्या हालात…
जयपुर: कोविड के दौरान रेट लिस्ट जारी की थी, लेकिन अब कहीं भी यह सार्वजनिक नहीं है। जोधपुर: निजी एम्बुलेंस की केवल मोटर वाहन अधिनियम के तहत ही जांच की जाती है।ये होनी चाहिए सुविधाएं, जिनकी जांच नहीं
- बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस (बीएलएस)… इनमें ऑक्सीजन सिलेंडर, ईसीजी, एम्बु बैग, बीपी इंस्ट्रुमेंट जैसी सामान्य सुविधाएं रहती हैं।
- एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस (एएलएस)…यह आईसीयू सुविधा वाली एम्बुलेंस होती है। इनमें ऑक्सीजन सिलेंडर, पल्स मॉनिटर, हार्ट मॉनिटर, ईसीजी,एम्बु बैग, बीपी इंस्ट्रुमेंट, वेंटिलेटर और ट्रेंड नर्स होनी चाहिए।