चम्बल के मास्टर प्लान का मामला दोनों राज्यों में अरसे से लम्बित चल रहा था। करीब ढाई साल पहले मास्टर प्लान बनाने की कवायद शुरू हुई, लेकिन दोनों राज्यों में सहमति नहीं बन पाई थी। अब दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होने से इस प्रोजेक्ट की राह खुल गई है। दोनों राज्यों के बीच पीकेसी-ईआरसीपी का एमओयू होने के बाद अब चम्बल व उसकी सहायक नदियों का मास्टर प्लान तैयार करने की तैयारी चल रही है। कोटा बैराज से निकलने वाली दाईं मुख्य नहर पर होने वाले खर्च में राजस्थान की 24.6 तथा मध्यप्रदेश की 75.4 फीसदी हिस्सेदारी है। इससे मध्यप्रदेश में भी सिंचाई होती है। इस नदी पर गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज बांध बने हैं।
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ऐसा होगा आंकलन और अध्ययनइसमें आगामी 30 और 50 साल की पानी की जरूरत के आधार पर आकलन किया जाएगा। नदी में कितने पानी की आवक होती है। इसमें सिंचाई, पेयजल, औद्योगिक उपयोग तथा वाष्पीकरण कितना होता है, इसका अध्ययन किया जाएगा। चम्बल नदी के चारों बांधों की भी वाटर स्टडी की जाएगी।
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आंकड़ों में जानें…चंबल से हमारी खुशहाली- 965 किलोमीटर है कुल लंबाई चम्बल नदी की
- 376 किलोमीटर तक बहती है राजस्थान में
- 2.29 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है हाड़ौती की
- 6656 क्यूसेक है कोटा बैराज से निकलने वाली दाईं मुख्य नहर की जल प्रवाह क्षमता
- 124 किमी दाईं मुख्य नहर राजस्थान में करती है जल प्रवाहित
- 248 किमी मध्यप्रदेश की सीमाओं में जल प्रवाह
- तकनीकी कमेटी में बन चुकी सहमति