कोटा

बड़ी खबर: 50 हजार लोग रोजाना खुले में शौच जाते हैं, फिर कोटा कैसे हुआ ओडीएफ घोषित, गोपनीय सर्वे पर उठे सवाल

केन्द्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के केन्द्रीय दल ने गोपनीय दौरा कर शहर को ओडीएफ घोष‍ित कर द‍िया लेकिन शहर में 50 हजार लोग रोजाना खुले में शौच करते हैं।

कोटाDec 16, 2019 / 04:43 pm

​Zuber Khan

बड़ी खबर: 50 हजार लोग रोजाना खुले में शौच जाते हैं, फिर कोटा कैसे हुआ ओडिएफ घोषित, गोपनीय सर्वे पर उठे सवाल

कोटा. केन्द्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के केन्द्रीय दल क्यूसीआई (क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया) ने गोपनीय दौराकर भले ही शहर को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया हो, लेकिन आज भी शहर में मोटे तौर पर 50 हजार से अधिक लोग खुले में शौच करते हैं। इसी के चलते शहर के ओडीएफ होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसे केवल कागजी तमगा बताया जा रहा है। शहर के बीच से गुजर रही रेलवे लाइन के दोनों तरफ अलसुबह सैकड़ों की संख्या में लोग खुले में शौच करते दिख जाएंगे।
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केन्द्र सरकार ने दो साल पहले भी कोटा को ओडीएफ घोषित कर दिया था, लेकिन तत्कालीन पार्षदों ने कागजी ओडीएफ घोषित करने की शिकायत की थी, इसके बाद कोटा को डी-ओडीएफ घोषित किया था, लेकिन फिर गोपनीय सर्वे के आधार पर शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया।

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शहर में करीब 50 हजार लोग अभी भी खुले में शौच जाते हैं। कच्ची बस्तियों के आसपास खाली जगहों पर अलसुबह लोग निवृत्त होते नजर आते हैं। स्टेशन से लेकर भामाशाहमंडी तक रेल लाइन के दोनों तरफ की खाली जगहों पर सैकडों की संख्या में लोग खुले में शौच जाते हैं। चम्बल नदी के किनारे भी यही स्थिति देखने को मिलती है। शहर में ऐसे एक नहीं कई स्थान हैं।
फिर ओडीएफ कैसे…
आरोग्य नगर निवासी एक महिला ने पत्रिका कार्यालय को फोन कर बताया कि आरोग्य नगर में सुबह बड़ी संख्या में श्रमिक खुले में शौच जाते हैं। इस कारण दुर्गंध से बेहाल है। उन्होंने कहा कि सर्वे में गलत आंकड़े दिखाकर शहर को ओडीएफ करवा लिया है, इसकी जांच होनी चाहिए।
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शहर के 3000 घरों में नहीं बने शौचालय
नगर निगम ने 2014 में शहर में शौचालय रहित घरों का सर्वे किया था। इसमें 12664 घरों को शौचालय रहित माना था। अब तक निगम ने 9600 शौचालय ही बनाए हैं। निगम के सर्वे में मुताबिक ही तीन हजार घरों में शौचालय नहीं है। एक मकान में औसत पांच सदस्य भी माने तो 15 हजार लोग तो खुले में शौच जाते हैं।
हमारे बोर्ड में भी शहर को ओडीएफ घोषित किया जा चुका था, लेकिन कुछ लोगों की शिकायत के चलते डी ओडीएफ कर दिया था। जिन घरों में शौचालय नहीं बने थे, उनके लिए कम्युनिटी टॉयलेट बनाए गए हैं। खुशी की बात है कि हमारे प्रयासों से फिर कोटा शहर ओडीएफ घोषित हो गया है।
महेश विजय, पूर्व महापौर
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भाजपा बोर्ड के वक्त उनके पार्षदों की खींचतान के कारण निगम का कामकाज गति नहीं पकड़ पाया था। भाजपा बोर्ड में गलत आंकड़े दिखाकर ओडीएफ घोषित करवा दिया गया है। मेरे वार्ड भी शहर का पहला दो मंजिला आधुनिक टॉयलेट शुरू किया गया है।
अनिल सुवालका, पूर्व प्रतिपक्ष नेता

शहर को ओडीएफ मुक्त किए जाने के लिए आनुपातिक रूप से विभिन्न स्थानों पर 18 सामुदायिक शौचालय और 25 पब्लिक टॉयलेट बना गए हैं। छह आधुनिक शौचालय बनाए गए हैं। जिन घरों में शौचालय बनाने की जगह नहीं थी, वहां आसपास ही कम्युनिटी टॉयलेट बनाए गए है। लोगों को खुले में शौच नहीं जाने के लिए प्रेरित किया है।
वासुदेव मालावत, प्राधिकारी नगर निगम कोटा

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