दोनों रास्तों से ग्रामीणों को कई किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ता हैं। इससें समय के साथ वाहनों में ईंधन के रूप में आर्थिक नुकसान भी होता है। बरसों से ग्रामीण आमली-खेड़ली गांव के पास कालीसिंध नदी पर पुलिया निर्माण की मांग करते आ रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर के प्रयास से बरसों पुरानी मांग अब पूरी हुई है।
बचेगा समय और ईंधन
ग्रामीणों ने बताया कि पहले सडक़ मार्ग पर आवागमन नहीं था तो ग्रामीण कोटा आने-जाने के लिए आमली से नाव पर सवार होकर खेड़ली होते हुए देवलीमांझी और फिर कोटा तक आवागमन करते थे। नदी में होकर नाव से आवागमन में ग्रामीणों को देवलीमांझी तक सिर्फ आठ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। सडक़ मार्ग से देवली जाने के लिए घानाहेड़ा-आजादपुरा होकर जाना पड़ता हैं। यह दूरी चालीस किलोमीटर पड़ती है।
ग्रामीणों को होगा फायदा
क्षेत्र के दो दर्जन गांवों का खरीदारी, कृषि व अन्य कार्यो में सीधा जुड़ाव कोटा जिला मुयालय से है। घानाहेड़ा या कुंदनपुर होकर आवागमन करने में पचास से साठ किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता हैं। आमली-खेड़ली के बीच कालीसिंध नदी पर पुलिया बनने से ग्रामीणों की यह दूरी कम होगी। इससे वाहनों में ईंधन में होने वाला खर्च भी कम होगा। आवागमन के दौरान समय की भी बचत होगी। जिससे ग्रामीणों को फायदा होगा। यहां भी मिल सकता है लाभ
पुलिया बनने के बाद आमली से श्यामपुरा होते हुए सांगोद तक सडक़ का चौड़ाईकरण भी प्रस्तावित है। यह सडक़ बनती है तो सांगोद क्षेत्र को भी खासा फायदा मिलेगा। कोटा आने-जाने के लिए क्षेत्र के लोग श्यामपुरा से आमली, खेड़ली होते हुए सीधे देवलीमांझी पहुंच जाएंगे। इससे सांगोद क्षेत्र के लोगों को भी घानाहेड़ा, आजादपुरा व बालूहेड़ा के चक्कर से निजात मिलेगी। करीब पन्द्रह से बीस किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी कम होगी।
मंत्री ने अपने किए वादे को लोकसभा अध्यक्ष के सहयोग से पूरा किया और लोगों को पुलिया की सौगात दी। आमली-खेड़ली गांव के बीच पुलिया ग्रामीणों के लिए वरदान से कम नहीं है। इससे हजारों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
रामप्रसाद गुर्जर, सरपंच कालीसिंध नदी पर बड़ी पुलिया का बरसों पुराना सपना था जो अब पूरा हुआ है। इससे ग्रामीणों को कोटा जाने-जाने में काफी सहुलियत मिलेगी। आवागमन की राह आसान होगी। वाहन खर्च कम होगा वहीं समय भी बचेगा।
छीतर लाल मेघवाल, मकड़ावद