Farmer News : कुली, हल, दांता फांस ये थे किसान के खेती के औजार, अब रह गए अतीत के पन्नों में…
Rajasthan News : कुली, हल, दांता फांस…अब अतीत के पन्नों में ही रह गए। आज के भौतिक युग ने पुराने समय में खेत की हकाई करने में काम आने वाली लकड़ी की बनी कुली व इसके जोतने के लिए काम आने वाले बैल अब अतीत बनकर रह गए है।
कुंदनपुर क्षेत्र के राजगढ़ में नजर आई टूटी कुली
खलियान में खड़ी बरसो पुरानी बैलगाड़ी
Farmer News : कुली, हल, दांता फांस ये थे किसान के खेती के औजार, अब रह गए अतीत के पन्नों में…कुली, हल, दांता फांस…अब अतीत के पन्नों में ही रह गए। आज के भौतिक युग ने पुराने समय में खेत की हकाई करने में काम आने वाली लकड़ी की बनी कुली व इसके जोतने के लिए काम आने वाले बैल अब अतीत बनकर रह गए है। अब इनकी जगह ट्रैक्टर व कल्टी मशीन ने ले ली, जो अब इन्ही के माध्यम से किसान अब खेत की हकाई जुताई करते है। पूर्व में आखातीज पर खेती का मुहूर्त करने के लिए कुली की पूजा करते थे। परन्तु इसकी जगह अब हकाई ट्रैक्टर मशीन से होने के कारण अब किसान भी हकाई, जुताई से जल्दी ही निवृत्त हो जाते हैं।
जब बेलों से खेती की जाती थी तब किसान व्यस्त भी रहते थे और स्वस्थ भी, परन्तु अब कभी भी ट्रैक्टर से हकाई करवाकर कृषि कार्य से निवृत्त हो जाते हैं। वही आखातीज के दिन कुली की पूजा कर खेती का कार्य शुरू कर देते थे। पूर्व में गांव में एक या दो ट्रैक्टर हुआ करते थे, जिनसे गांव की जमीन हकाई जुताई का पूरा नहीं पड़ता था। अब हर गांव में दो या तीन दर्जन ट्रैक्टर होना कोई बड़ी बात नहीं है। अब हर कोई दिनों का कार्य घण्टों में व घण्टों का कार्य मिनटों में करना चाह रहे हैं।
अतीत बन कर रह गए संसाधन
दो दशक पूर्व तक खेतों में काम आने वाले कुली, हल, दांता फांस, बैलगाड़ी तथा इनके जोतने में काम आने वाले बैल अब नजर नहीं आते। जहां पूर्व में हर घर में बैल होते हैं और देर शाम को इनके खेतों से लौटकर आने की इनके गले में बंधे घुंघरू की खड़खड़ाहट सुनाई पड़ती थी। परन्तु अब इस युग में यह अतीत बन कर ही रह गए।
नहीं हैं गांवों में बैल न ही रही गाड़ी
राजगढ़ के जानकीलाल सुमन ने बताया कि तीन दशक पूर्व जब यातायात के साधनों का अभाव था, तब ग्रामीण इन्ही बैल गाड़ी में बैठकर हाट या मेहमानों के यहां आया करते थे। वही खेतों से भूसा, या फसल को भरकर लाते थे। परन्तु अब न गाड़ी नजर आती है और ना ही बैल।