गर्मी में भण्डारण मुश्किल
लहसुन की प्रोसेसिंग इकाइयों की जरूरत है। लहसुन का पेस्ट समेत कई प्रोडक्ट बन सकते हैं। झालावाड़ में इसका एक प्लांट चालू भी हुआ था। प्रोसेसिंग नहीं होने से किसानों को नुकसान होता है। 2017 में हम हाड़ौती में इसका मंजर देख चुके हैं। लहसुन के दाम नहीं मिलने पर कई किसानों की सदमे से मौत हो गई थी। इसके बाद केन्द्र सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना में लहसुन की खरीद शुरू की थी। प्रोसेसिंग इकाइयां लगाने की जरूरत है। सरकार फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर अनुदान भी देती है। ऐसे में निवेशकों को आमंत्रित किया जाना चाहिए। लहसुन के भण्डारण के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान अनुकूल है। इसके बाद तापमान बढऩे पर लहसुनु खराब होने लग जाता है। पिछले सीजन में भीषण गर्मी के कारण काफी मात्रा में लहसुन खराब हो गया था। किसानों को घरों में कूलर-पंखे लगाकर रखना पड़ा था। पीके गुप्ता, रिटायर्ड अतिरिक्त निदेशक, कृषि विभाग सरकार से लहसुन का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग कर रहे हैं। बाजार को स्थिर रखने के लिए एमएसपी पर खरीद की जानी चाहिए।
दशरथ कुमार, किसान नेता बांधों में पर्याप्त पानी होने और अच्छे दाम मिलने के कारण किसानों ने लहसुन की बुवाई ज्यादा की है। कोटा खण्ड में लहसुन की अब तक एक लाख हैक्टेयर से ज्यादा बुवाई हो चुकी है।
आरके जैन, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार कोटा लहसुन से जुड़ा है काला अध्याय
वर्ष 2017 में लहसुन की फसल के दाम नहीं मिलने पर हाड़ौती में एक दर्जन किसानों की सदमे से मौत हो गई थी। इसके बाद किसानों की आत्महत्या का मामला देशभर में गूंजा था।
7 से 8 लाख मीट्रिक टन उत्पादन अनुमानित
उद्यान विशेषज्ञों का आकलन है कि इस बार हाड़ौती में अच्छी बारिश होने से बांध लबालब भरे हैं। लहसुन की फसल में छह से सात बार पानी देने की जरूरत होती है। पर्याप्त पानी होने से सिंचाई की कोई दिक्कत नहीं रहेगी। इस कारण अकेले हाड़ौती में ही लहसुन का 7 से 8 लाख मीट्रिक टन उत्पादन अनुमानित है।